चुनाव भी कैसे कैसे रंग दिखाता है, कैसे कैसे हालात पैदा करता है. अपने धुर विरोधियों का समर्थन करना पड़ता है, यहाँ तक कि उसे वोट भी करना पड़ता है, कुछ ऐसी ही सिचुएशन देश की राजधानी नई दिल्ली और चांदनी चौक सीट पर पैदा हो गयी है. यहाँ एक दूसरे के कभी धुर विरोधी रहे नेता एक दुसरे के उम्मीदवारों को वोट करेंगे। ऐसा पहली होगा कि जब गाँधी फैंमिली कांग्रेस पार्टी को वोट नहीं कर पाएगी और शायद 2014 के बाद ऐसा पहली बार होगा जब केजरीवाल का परिवार कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार को वोट करेगा।
दरअसल ये सब इसलिए हो रहा है क्योंकि दिल्ली में उस आम आदमी पार्टी से कांग्रेस पार्टी का गठबंधन हुआ जिसके शीर्ष नेता ने कांग्रेस को सत्ता से बेदखल करने के लिए कभी अन्ना हज़ारे के साथ एक आंदोलन चलाया था “इंडिया अगेंस्ट करप्शन”. ये अलग बात है कि आज वो नेता खुद करप्शन के आरोप में तिहाड़ जेल में बंद है. बहरहाल हालात ने ऐसी करवट बदली कि ये दोनों धुर विरोधी आज एक दूसरे के साथ हैं और इसी साथ का नतीजा ये है कि नई दिल्ली लोकसभा सीट, जहाँ गाँधी परिवार वोट करता आ रहा है, आम आदमी पार्टी के हिस्से में और चांदनी चौक सीट जहाँ केजरीवाल का परिवार रहता है कांग्रेस के हिस्से में है। ऐसे में दोनों ही परिवारों की ये मजबूरी बन गयी है कि वो एक दुसरे की पार्टी के उम्मीदवारों को वोट करें। उन्हें वोट करना होगा क्योंकि दुनिया भर की मीडिया की निगाहें मतदान के दिन उनपर लगी होंगी।
केजरीवाल परिवार के लिए तो नहीं कहा जा सकता, हो सकता है कि 2014 से पहले उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार के पक्ष में कभी वोट किया हो क्योंकि तब आम आदमी पार्टी का वजूद नहीं हुआ था लेकिन गाँधी परिवार के लिए देश की आज़ादी के बाद ये पहला मौका होगा जब वो कांग्रेस की जगह किसी और पार्टी के उम्मीदवार को वोट करेगा। सच है राजनीति में सबकुछ संभव है, समय बड़ा बलवान।