उत्तर प्रदेश विधानसभा के चार दिवसीय सत्र के पहले दिन विपक्ष के हंगामे के बीच सदन को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य में सांप्रदायिक हिंसा की विशिष्ट प्रकृति पर सवाल उठाया। मुख्यमंत्री ने टिप्पणी की कि हिंसा विशेष रूप से तब क्यों भड़कती है जब हिंदू जुलूस मुस्लिम क्षेत्र से गुजरते हैं, जबकि मुस्लिम जुलूस हिंदू क्षेत्रों से शांतिपूर्ण तरीके से गुजरते हैं।
उन्होंने कहा कि संभल में दंगों का इतिहास 1947 से शुरू होता है। उन्होंने दावा किया कि 1974 में 184 हिंदुओं को जला दिया गया था और 1947 से अब तक संभल में 209 हिंदुओं की हत्या की जा चुकी है। संभल हिंसा पर सवाल उठाते हुए आदित्यनाथ ने पूछा कि पत्थरबाज कौन थे, उन्होंने कहा कि वे जो भी हों, उन्हें बख्शा नहीं जाएगा। मुख्यमंत्री ने किसी भी पार्टी का नाम लिए बिना कहा, “कुछ लोग भारत का प्रतिनिधित्व करने का स्वघोषित अनुबंध लेकर घूमते हैं और डिस्कवरी ऑफ इंडिया को इस तरह से मानते हैं जैसे कि यह इस देश की सबसे पुरानी किताब हो।”
विधानसभा सत्र शुरू होने से पहले ही समाजवादी पार्टी के सदस्य आक्रामक मूड में थे। वे विधानसभा की सीढ़ियों पर तख्तियां लेकर बैठे थे, जिन पर अन्य मुद्दों के अलावा यह लिखा था कि राज्य में दंगे भाजपा सरकार की पूर्ण विफलता का परिणाम हैं। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि NCRB आंकड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश 2017 से अब तक सांप्रदायिक दंगों में लगभग 99 प्रतिशत की कमी देखी गई है। उन्होंने कहा कि यूपी में 2017 के बाद से कोई वास्तविक दंगा नहीं हुआ है। मुख्यमंत्री ने कहा कि NCRB आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में 815 सांप्रदायिक दंगे हुए हैं और 192 लोग मारे गए हैं। उन्होंने कहा कि 2007 से 2011 के बीच सांप्रदायिक दंगों की 616 घटनाएं हुईं, जिनमें 121 लोग मारे गए।