मेरठ। विक्रमी संवत 2080 कल बुधवार से शुरु हो रहा है। पिंगल नाम के इस संवत के राजा बुध होंगे और मंत्री पद का दायित्व शुक्र निभाएंगे। नव संवत्सर में दो सावन के अलावा शुभ फल प्रदान करने वाला पुरुषोत्तम मास इस साल पड़ रहा है। इस दिन सृष्टि संवत के अनुसार धरती 195 करोड़ वर्ष की हो जाएगी।
नवसंवत्सर के पहले दिन चैत्र नवरात्र लग रहे हैं। नवरात्र के नौवें दिन श्रीराम का जन्मोत्सव रामनवमी 30 मार्च को मनाया जाएगा। हिंदू धर्म के अनुसार विक्रमी संवत के कुल 60 नाम हैं। जो हर साल बदल जाते हैं। लेकिन इनके अलावा और भी अनेक महापुरुषों के नाम से संवत्सर हैं।
सृष्टि संवत है सबसे पुराना संवत
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, सबसे पुराना संवत है सृष्टि संवत। इसका प्रतिपादन आदि ऋषियों ने किया। हिंदू शास्त्रीय अवधारणाओं के मुताबिक, सृष्टि संवत प्रारंभ हुए 195 करोड़ वर्ष हो गए हैं। इसका निर्धारण चारों युगों से हो रहा है। आचार्य प्रियवृत पराशर के अनुसार, चारों युग 42 लाख वर्ष में बीतते हैं।
मत्स्य पुराण, स्कंद पुराण और गरुड़ पुराण में ही नहीं, कालखंड का विवरण ऋग्वेद में इसका इतिहास है। बुधवार से नया विक्रमी संवत 2080 प्रारंभ हो रहा है। यह संवत सर्वत्र प्रचलित है। इस वर्ष का राजा बुध है और मंत्री शुक्र।
भारतीय प्राच्य विद्या सोसाइटी के निदेशक डाॅ. प्रतीक मिश्र बताते हैं कि नया संवत वृश्चिक लग्न में प्रारंभ हो रहा है। नए साल में गुरु का संचार मेष राशि में रहेगा। बुध और शुक्र का साथ होने के कारण नृत्य, गायन और कला के क्षेत्र में भारत का नाम होगा। नए संवत विवाहों के 70 मुहूर्त निकल रहे हैं। यह संवत मिश्रित फल प्रदान करेगा। संवत के साथ चैत्र नवरात्र प्रारंभ हो रहे हैं।
महापुरुषों के नाम हैं संवत
भारत के कई संवत आज भी प्रचलित हैं। कलयुग के आगामी अवतार कल्कि के नाम से चला कल्कि संवत 5121 वर्ष पुराना है। इसी प्रकार श्रीकृष्ण संवत 5254 वर्ष, सप्तऋषि संवत 5096, बुद्ध संवत 2643, महावीर संवत 2546, शक संवत 1943, हिजरी संवत 1442, फसली संवत 1428, नानकशाही संवत 553 तथा खालसा संवत 322 वर्ष पुराने हैं। ये समस्त संवत आज भी प्रचलित हैं।