देश में कोरोना के एक्टिव केस की संख्या बढ़कर 4,054 हो गई है जिनमें से सबसे अधिक मामले केरल से सामने आए हैं. वहीं भारत में कोरोना के नए सब-वैरिएंट जेएन.1 के मरीजों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है. देश में जेएन.1 सब-वैरिएंट के 63 मामले सामने आ गए हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक रविवार को कोरोना संक्रमण के 656 नए मामले सामने आए थे.
नए सब-वैरिएंट जेएन.1 के मामले बढ़ने के कारण स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों को टेस्टिंग बढ़ाने की सलाह दी है. एम्स के पूर्व निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया के मुताबिक अभी जेएन.1 सब-वैरिएंट धीरे धीरे फैल रहा है हालाँकि ये गंभीर संक्रमण और अस्पताल में भर्ती होने का कारण नहीं बन रहा है. इस नए वैरिएंट का पर्याप्त डाटा अभी WHO के पास भी नहीं है, इस बात को विश्व स्वास्थ्य संगठनकी पूर्व मुख्य वैज्ञानिक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन भी मानती हैं. इसलिए उन्होंने सतर्क रहने की सलाह दी है, हालाँकि साथ में ये भी कहा है कि चिंता करने की जरूरत नहीं है. पर्याप्त डाटा मिलने पर ही इसकी जांच कर पता लगाया जा सकता है कि नया सब-वैरिएंट जेएन.1 अधिक गंभीर है या नहीं.
सबसे ज़्यादा समस्या इस नए वैरिएंट के लक्षणों को लेकर है क्योंकि क्योंकि मरीज़ इंफ्लूएंजा से पीड़ित है या फिर वह जेएन.1 से संक्रमित, पता लगाना आसान नहीं है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक कोविड-19 के अलग-अलग वैरिएंट के कारण लक्षणों में हल्के बदलाव दिख सकते हैं क्योंकि लोगों को वैक्सीन लग चुकी हैं. ऐसे में हर व्यक्ति के शरीर और उसकी इम्यूनिटी के आधार पर लोगों में अलग-अलग लक्षण नजर आ सकते हैं. सीडीसी की एक रिपोर्ट में कहा कहा गया है कि जेएन.1 के लक्षण कितने गंभीर पर हैं यह बात पर निर्भर करता है कि व्यक्ति की इम्यूनिटी और ओवरऑल हेल्थ कैसी है.
यूनाइटेड किंगडम के नए डेटा के मुताबिक जहां एक ओर कोविड-19 के नए लक्षण बढ़ रहे हैं वहीं इंफ्लूएंजा के मामले भी सामने आ रहे हैं. ऐसे में लोगों ने कुछ लक्षण बताए हैं, जिनमें कमजोरी, बहती नाक, खांसी, सिरदर्द या थकान मांसपेशियों में दर्द गले में खराश नींद न आने की समस्या एंग्जाइटी शामिल हैं। हालाँकि देखा जाय तो ये लक्षण कई बीमारियों में बड़े कॉमन हैं. यूके की एक रिसर्च में पाया गया है कि कोविड-19 और सर्दी के दौरान होने वाली अन्य श्वसन बीमारियों के लक्षण एक समान थे. छींक आना, थकान, खांसी, गले में खराश और सिरदर्द सबसे अधिक बताए गए लक्षणों में से एक है. सिर्फ लक्षणों के आधार पर SARS-CoV-2, इन्फ्लूएंजा और RSV के बीच अंतर बताना काफी मुश्किल है, इसलिए टेस्टिंग कराना सबसे अच्छा तरीका है.