अडानी-हिंडनबर्ग मामले में पिछले साल नवम्बर में सुरक्षित रखे गए अपने फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने आज सुना दिया है. अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अडानी हिंडनबर्ग मामले की जांच सेबी से एसआईटी को ट्रांसफर करने का कोई आधार नहीं है, इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सेबी को अडानी हिंडनबर्ग से जुड़े 2 अन्य मामलों की जांच के लिए 3 महीने का समय और दिया है। वहीँ सुप्रीम कोर्ट ने सेबी के नियामक ढांचे में हस्तक्षेप करने की अपनी सीमित शक्तियों की बात भी कही. बता दें कि बीते साल जनवरी में अडानी ग्रुप की कंपनियों पर अमेरिकी शॉर्ट सेल फर्म हिंडनबर्ग ने कथित अनियमितताओं का आरोप लगाया गया था जिसके बाद अडानी ग्रुप के शेयरों में भूचाल आ गया था.
सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद अडानी ग्रुप के शेयरों में काफी तेज़ी देखने को मिली। अदानी एंटरप्राइजेज 4.35 फीसदी की बढ़त के साथ कारोबार कर रहा है वहीँ अडानी पोर्ट्स में 2.30 फीसदी की बढ़त दिख रही है। इसके अलावा अडानी पावर में 4.29 फीसदी, अडानी एनर्जी में 12.04 फीसदी, अडानी ग्रीन में 5.08 फीसदी, अडानी टोटल में 9.10 फीसदी और अडानी टोटल में 5.08 फीसदी की बढ़त देखी गई. अदानी विल्मर में भी चार प्रतिशत से ज़्यादा की तेज़ी है.
फैसला सुनाते हुए मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि सेबी ने 22 में से 20 मामलों में अपनी जांच पूरी कर ली है. सर्वोच्च न्यायालय ने सॉलिसिटर जनरल के आश्वासन को ध्यान में रखते हुए सेबी को अन्य दो मामलों में 3 महीने के भीतर जांच पूरी करने का निर्देश दिया है. मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि उसके पास सेबी के नियामक ढांचे में हस्तक्षेप करने की शक्तियां सीमित हैं। शीर्ष अदालत ने कहा कि भारत सरकार और सेबी को यह देखना होगा कि शॉर्ट सेलिंग पर हिंडनबर्ग रिपोर्ट में कानून का कोई उल्लंघन हुआ है या नहीं। अगर कोई उल्लंघन हुआ तो कानून के मुताबिक कार्रवाई की जाय.