सप्ताह के पहले कारोबारी दिन शेयर बाजार की कमजोर शुरुआत हुई है। सेंसेक्स 80.07 अंकों की गिरावट के साथ 78,619.00 अंकों पर वहीं निफ्टी 28.40 अंकों की गिरावट के साथ 23,785.00 अंकों पर खुला। भारतीय बाजार में गिरावट वैश्विक बाजारों में कमजोरी के कारण है। शुक्रवार को अमेरिकी बाजार में बड़ी गिरावट आई थी। इसका असर आज भारतीय बाजार पर देखने को मिल रहा है। साल के अंत के चलते विदेशी निवेशकों की भागीदारी कम होने से बाजार के रेंज बाउंड रहने की उम्मीद है।
शेयरों पर नजर डालें तो एयरटेल, आईटीसी, अल्ट्राटेक सीमेंट, अडानी पोर्ट्स आदि तेजी में हैं। वहीं, रिलायंस, एचसीएल टेक, टाटा मोटर्स और टीसीएस गिरावट वाले शेयरों में शामिल हैं। जैसे-जैसे निवेशक 2024 को पीछे छोड़ते हुए नए साल की ओर देख रहे हैं, आत्मविश्वास से ज़्यादा चिंताएँ बढ़ रही हैं। वैश्विक स्तर पर शेयर बाज़ारों के लिए सबसे बड़ी चिंता ट्रम्प 2.0 को लेकर अनिश्चितता है। चिंता यह है कि चूँकि बाज़ार का मूल्यांकन उच्च है, इसलिए कोई भी नकारात्मक समाचार सुधार का कारण बन सकता है।
बाजार के जानकारों के मुताबिक अमेरिकी अर्थव्यवस्था की लचीलापन लगातार आश्चर्यचकित करती रहती है। उम्मीद से कम बेरोज़गारी दावों ने अमेरिकी 10-वर्षीय बॉन्ड यील्ड को 4.62% पर धकेल दिया है। यह वैश्विक स्तर पर शेयर बाज़ारों और विशेष रूप से उभरते बाज़ारों के लिए एक प्रतिकूल स्थिति होगी, जहाँ FII बिकवाली जारी रख सकते हैं। दुनिया के सबसे सुरक्षित एसेट क्लास से 4.62% का जोखिम-मुक्त यील्ड FII को भारत जैसे उभरते बाज़ारों में बेचने और पैसे को अमेरिकी बॉन्ड में लगाने के लिए आकर्षित करता रहेगा।
भारत में हाल ही में हुए बाज़ार सुधार में, IT और बैंकिंग स्टॉक मुख्य रूप से अपने उचित मूल्यांकन के कारण यथोचित रूप से लचीले बने रहे हैं। नए साल की अनिश्चितताओं में आगे बढ़ते हुए निवेशकों को सावधानी बरतनी चाहिए।