9 अक्टूबर की देर रात टाटा संस के चेयरमैन एमेरिटस रतन टाटा 86 वर्ष की आयु में इस नश्वर संसार को छोड़ कर चले गए और अपने पीछे एक ऐसी विरासत छोड़ गए जो हर पीढ़ी के लोगों को प्रभावित करेगी। टेक कमपनी इनफ़ोसिस के दिग्गज एनआर नारायण मूर्ति से लेकर ओला के भाविश अग्रवाल जैसे युवा स्टार्टअप वालों तक बहुत से लोगों के लिए वो आशा और मार्गदर्शन की किरण थे।
रतन टाटा को जहाँ TCS को एक वैश्विक तकनीकी दिग्गज के रूप में विकसित करने का श्रेय दिया जाता है, वहीँ उन्होंने भारत के उभरते स्टार्टअप इकोसिस्टमओला को पोषित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो बहुत कम समय में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा बन गया है।
निजी बाजार डेटा प्रदाता, ट्रैक्सन के अनुसार, कुल मिलाकर, रतन टाटा ने लगभग 45 स्टार्टअप में निवेश किया, जो रतन टाटा द्वारा समर्थित एक कंपनी भी है। चाय कंपनी टीबॉक्स के संस्थापक कौशल दुगर ने कहा कि अगर रतन टाटा ने 2016 में उनमें निवेश नहीं किया होता तो उनकी कंपनी आज इस मुकाम पर नहीं पहुंच पाती। टीबॉक्स में उनके निवेश और मार्गदर्शन ने भारतीय बाजार में उसकी दिशा बदल दी, क्योंकि तब तक चाय उद्योग स्टार्टअप्स को ऐसे लोगों के समूह के रूप में देखता था जो लगभग 100 वर्षों से “काम” कर रही किसी चीज को बदलने की कोशिश कर रहे थे। एक बार जब रतन टाटा टीबॉक्स के साथ आए, तो सचमुच भारत में हर कोई टी बॉक्स गंभीरता से लेने लगा।
रतन टाटा के दांवों ने टी बॉक्स को शानदार रिटर्न भी दिलाया। इसी तरह अपस्टॉक्स ने 23,000 प्रतिशत से अधिक का रिटर्न दिया, लेंसकार्ट पर शुरुआती दांव ने उन्हें अपने निवेश पर 28 गुना रिटर्न दिया। इसी तरह, ओला इलेक्ट्रिक और फर्स्टक्राई, नई पीढ़ी की कंपनियाँ जो इस साल सार्वजनिक हुईं, ने उन्हें क्रमशः 10 गुना और 450 प्रतिशत का रिटर्न दिया। एक निवेशक से परे, रतन टाटा ने कंपनियों को सलाह भी दी और उन्हें तब तक संभाला जब तक वे अपने दम पर खड़ी नहीं हो गईं।
रतन टाटा के दिनिया के अलविदा कहने से स्टार्टअप समूह अपने आप को अनाथ सा महसूस कर रहे हैं क्योंकि भारत में वो युवा आंत्रेप्रिन्योर के गॉड फादर की तरह थे.