मेरठ लोकसभा सीट पर अब सभी पार्टियों के उम्मीदवार फाइनल हो चुके हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने दो दिन पहले यहाँ पर एक बड़ी चुनावी रैली से लोकसभा चुनाव का बिगुल बजा दिया है। ये तीसरी बार है जब उन्होंने मेरठ से अपने लोकसभा चुनाव की मुहीम का आगाज़ किया। 2014 और 2019 में भी उन्होंने मेरठ से ही शुरुआत की थी. ऐसा लगता है कि प्रधानमंत्री मोदी जी लोगों को सन्देश देना चाहते है कि वो भी एक मंगल पांडेय हैं। बता दें कि महान स्वतंत्रता सेनानी मंगल पाण्डेय ने देश की आज़ादी का पहला आंदोलन मेरठ छावनी से छेड़ा था। बहरहाल खबर ये है कि मेरठ में भाजपा के अरुण गोविल का मुकाबला करने के लिए समाजवादी पार्टी ने सरधना विधायक अतुल प्रधान को चुना है और उनकी उम्मीदवारी की घोषणा कर दी है. बता दें सपा ने पहले मेरठ से एडवोकेट भानुप्रताप को प्रत्याशी घोषित किया था. वहीँ बसपा ने देवव्रत त्यागी को उम्मीदवार बनाया है. मेरठ में नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 4 अप्रैल है.
अतुल प्रधान गुर्जर समाज से आते हैं और पश्चिमी यूपी में सपा के तेजतर्रार नेताओं में गिने जाते हैं. 2012 के विधानसभा चुनाव से राजनीति में कदम रखने वाले अतुल प्रधान सरधाना से दो चुनाव हारने के बाद अंततः भाजपा विधायक संगीत सोम को पिछले विधानसभा चुनाव में हराने में कामयाब हो ही गए. अतुल प्रधान को अखिलेश यादव का करीबी नेता माना जाता है.
अतुल प्रधान मेरठ जिले के मवाना तहसील के गडीना गांव के निवासी हैं. समाजवादी पार्टी छात्र सभा के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं और अक्सर अपने विवादित बयानों से भी चर्चा में रहते हैं. अतुल प्रधान पश्चिमी यूपी में अखिलेश के भरोसेमंद माने जाते हैं हालाँकि जहाँ तक मेरठ सीट की बात है तो गुर्जर वोट यहाँ पर निर्णायक स्थिति में नहीं हैं. मेरठ के जातीय समीकरण के हिसाब से अतुल प्रधान ज़्यादा फिट नहीं बैठते हैं. उनकी जीत की निर्भरता पूरी तरह मुस्लिम वोट की एकजुटता और अरुण गोविल के खिलाफ भाजपा के अंदर चल रही लामबंदी पर ही निर्भर है.