भारतीय रेलवे एक समय देश के वरिष्ठ नागरिकों को किराये में काफी रियायत देता था लेकिन मोदी सरकार ने वो रियायत उनसे छीन ली थी. अब एक RTI से जानकारी मिली है कि वरिष्ठ नागरिकों को मिलने वाली रियायत हटाने से सरकार 5800 करोड़ रुपये से अधिक का फायदा हुआ है. बता दें कोरोना काल के दौरान रेल मंत्रालय ने देश भर में लॉकडाउन की घोषणा के बाद ट्रेन किराए में सीनियर सिटीजन्स को दी जाने वाली छूट वापस ले ली थीं. कोरोना तो चला गया लेकिन वो रियायते वरिष्ठ नागरिकों को वापस नहीं लौटाई गयी.
बता दें कि रेलवे के मानदंडों के मुताबिक 60 साल या उससे अधिक आयु के पुरुष और ट्रांसजेंडर और 58 वर्ष या उससे ज़्यादा उम्र की महिलाएं सीनियर सिटिज़न मानी जाती हैं. रेलवे महिलाओं को 50 प्रतिशत और पुरुष व ट्रांसजेंडर को 40 प्रतिशत की किराये में छूट देता था लेकिन सरकार के कोरोना आपदा नहीं बल्कि अवसर बनकर आया और उसने बहुत सी रियायतों को ख़त्म कर दिया जिसमें रेल किराये में वरसिंह नागरिकों को मिलने वाली छूट भी शामिल थी. अब वरिष्ठ नागरिकों को ट्रेन यात्रा के लिए अन्य यात्रियों के बराबर पूरा किराया देना होता है.
आरटीआई आवेदनों के जवाब में भारतीय रेलवे ने बताया कि सीनियर सिटिज़न्स के लिए छूट वापस लेने के बाद 20 मार्च 2020 से 31 जनवरी 2024 तक रेलवे को 5,875 करोड़ रुपए से अधिक की कमाई हुई है. आरटीआई आवेदनों के जवाब में मुहैया कराए गए डेटा से पता चलता है कि 4 वर्षों में 13 करोड़ पुरुषों, नौ करोड़ महिलाओं और 33,700 ट्रांसजेंडर वरिष्ठ नागरिकों ने ट्रेन यात्रा की और उनके द्वारा सामान्य यात्रियों के बराबर पैसे देकर खरीदे गए टिकटों से रेलवे को लगभग 13,287 करोड़ रुपये का कुल राजस्व प्राप्त हुआ. अगर कैलकुलेशन करें तो रेलवे को 5875 करोड़ से अधिक का राजस्व प्राप्त हुआ’.