RBI Governor: आरबीआई के मुतबिक इन दिनों बैंकों में अधिक ब्याज देकर जमा रकम हासिल करने की होड़ मची हुई है। सूक्ष्म वित्त संस्थान (एमएफआई) ग्राहकों से ऊंचा ब्याज वसूल रहे हैं। बैंकिंग नियामक ने कहा वित्तीय क्षेत्र की इकाइयों को इससे बचना जरूरी है।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने फिक्की-आईबीए बैंकिंग सम्मेलन में कहा कि फिलहाल तो चिंता की कोई वजह नहीं दिख रही है। लेकिन इससे अति उत्साहित होने की जरूरत नहीं है। बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों (एनबीएफसी) को सतर्कता बरतने में कोई लापरवाही नहीं करनी चाहिए।
असुरक्षित ऋणों के बारे में कड़े दिशा-निर्देश जारी
गवर्नर दास ने कहा कि वित्तीय क्षेत्र में स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए आरबीआई असुरक्षित ऋणों के बारे में कड़े दिशा-निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने कहा कि आवास, वाहन ऋण और छोटे कारोबारियों को दिए जाने वाले कर्ज को सख्ती से बरी रखा गया है। इससे वे देश की आर्थिक तरक्की में सकारात्मक भूमिका निभाते हैं।
असुरक्षित ऋणों जैसे व्यक्तिगत ऋण और क्रेडिट कार्ड पर बकाया रकम का बढ़ता अंबार देखते हुए आरबीआई ने ऐसे ऋणों के लिए जोखिम भार 100 फीसदी से बढ़ाकर 125 फीसदी किया है। आरबीआई गवर्नर दास ने उन चार क्षेत्रों का जिक्र किया है। जिनमें वित्तीय इकाइयों को सावधान रहने की जरूरत है।
लोन बांटने की रफ्तार नियंत्रण में रखनी होगी
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि इसमें दो राय नहीं कि अभी ऋण आवंटन में इजाफा हो रहा है। लेकिन बैंकों एवं एनबीएफसी को क्षेत्रवार एवं इससे ठीक निचले स्तरों पर लोन बांटने की रफ्तार नियंत्रण में रखनी होगी। इससे अति उत्साह से बचना होगा। इस बारे में दास ने बैंकों को उनके देनदारी पहलू पर अधिक ध्यान देने और परिसंपत्ति-देनदारी प्रबंधन पर विशेष नजर रखने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि कुछ मामलों में बैंक ऊंचा ब्याज देकर जमा रकम जुटाने पर जोर दे रहे हैं। इसी के साथ खुदरा एवं निगमित दोनों ऋणों के मामले में इनकी अवधि बढ़ाई जा रही है।
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि एनबीएफसी को दिए जा रहे ऋणों पर बैंकों को नजर रखनी होगी। इससे किसी एक एनबीएफसी के विभिन्न बैंकों के साथ लेन-देन पर ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा कि एनबीएफसी को रकम जुटाने के स्रोतों के बारे में सचेत रहना है और पूंजी जुटाने के लिए बैंकों पर निर्भरता कम करनी होगी। उन्होंने कहा कि वित्तीय संस्थानों को ब्याज दरें तय करने की छूट दी है। लेकिन कुछ एनबीएफसी-एमएफआई अधिक ब्याज मार्जिन कमा रहे हैं। उन्हें ब्याज दरें मनमाने ढंग से नहीं बल्कि उचित एवं पारदर्शी तरीके से तय करनी चाहिए।