केंद्रीय बैंक ने 19 मई, 2023 को 2,000 रुपये के बैंक नोटों को चलन से वापस लेने की घोषणा की थी। अब आरबीआई ने सरकार के इस फैसले के अच्छे फायदे गिनाए हैं। केंद्रीय बैंक के आंकड़ों के अनुसार नौ फरवरी को समाप्त सप्ताह में करेंसी इन सर्कुलेशन में मुद्रा की वृद्धि एक साल पहले के 8.2 प्रतिशत से घटकर 3.7 प्रतिशत रह गई है। करेंसी इन सर्कुलेशन (CIC) का मतलब चलन में मौजूद नोटों और सिक्कों से है। वहीं, जनता के पास मौजूद करेंसी का मतलब बैंकों के पास जमा नकदी को घटाकर चलन में मौजूदा नोटों और सिक्कों से होता है।
केंद्रीय बैंक ने डाटा शेयर किये हैं उनके अनुसार, कमर्शियल बैंकों के पास जमा में जनवरी में दो अंक में वृद्धि हुई है, इसका कारण भी 2,000 के नोटों को चलन से हटाना है। RBI के आंकड़ों के मुताबिक आरक्षित मुद्रा (RM) की वृद्धि नौ फरवरी, 2024 को घटकर 5.8 प्रतिशत रह गई जो एक साल पहले 11.2 प्रतिशत थी। आरक्षित मुद्रा में करेंसी इन सर्कुलेशन के अलावा RBI के पास बैंकों की जमा राशि और अन्य जमा शामिल हैं। केंद्रीय बैंक के अनुसार, आरक्षित मुद्रा के सबसे बड़े खंड CIC की वृद्धि एक साल पहले के 8.2 फीसद से घटकर 3.7 प्रतिशत रह गई और ये 2,000 रुपये के नोटों को वापस लेने से हुआ है.
RBI के डाटा के मुताबिक 31 जनवरी तक, 2,000 रुपये के लगभग 97.5 प्रतिशत नोट बैंकिंग सिस्टम में वापस आ गए थे, सिर्फ 8,897 करोड़ रुपये मूल्य के 2000 के नोट अब भी जनता के पास हैं। 19 मई, 2023 को कारोबार की समाप्ति पर चलन में 2,000 रुपये के बैंक नोटों का कुल मूल्य 3.56 लाख करोड़ रुपये था। ऐसे नोट रखने वाली आम जनता और यूनिटों को शुरू में 30 सितंबर, 2023 तक इन्हें बदलने बैंक खातों में जमा करने या बदलने के लिए कहा गया था। बाद में इस समयसीमा को सात अक्टूबर, 2023 तक बढ़ा दिया गया था। आठ अक्टूबर, 2023 से लोगों को आरबीआई के 19 कार्यालयों में मुद्रा बदलने या उनके बैंक खातों में उतनी ही राशि जमा करने का विकल्प प्रदान किया गया है। बता दें कि नवंबर, 2016 में नोटबंदी की घोषणा के बाद 2,000 का नोट लाया गया था।