अभी राजस्थान में भाजपा सरकार को बने हुए ही कितने दिन हुए हैं, अभी कैबिनेट गठन को कितने घण्टे गुज़रें हैं कि भजनलाल शर्मा की सरकार को कांग्रेस ने उपचुनाव में ज़ोर का झटका दिया है. बीजेपी उम्मीदवार व मंत्री सुरेंद्र सिंह टीटी अभी मंत्री बनने का ठीक से मज़ा भी नहीं ले पाए थे कि चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा. अब भजन सरकार के सामने बड़ा सवाल ये है कि उन्हें कैबिनेट में बरकरार रखा जाय या नहीं क्योंकि जनता ने तो उनको नकार दिया है.
भाजपा को ये झटका कांग्रेस प्रत्याशी रूपिंदर सिंह कुन्नर ने दिया है जिन्होंने सहानुभूति की लहर पर चढ़कर भाजपा उम्मीदवार सुरेंद्र सिंह टीटी को 12570 वोटों से हरा दिया। दरअसल श्रीगंगानगर की करणपुर सीट से कांग्रेस उम्मीदवार रहे गुरमीत कुन्नर की मौत के बाद इस सीट पर चुनाव रद्द कर दिया गया था. 5 जनवरी को इस सीट पर उपचुनाव हुआ, कांग्रेस ने गुरमीत कुन्नर के पुत्र रुपिंदर कुन्नूर को अपना उम्मीदवार बनाया वहीँ भाजपा ने विधायक बनने से पहले मंत्री बने सुरेंद्र सिंह टीटी को मैदान में उतारा। लेकिन यहाँ पर वो भाजपा के किसी काम न आ सके और सीट हारकर नयी नयी बनी सरकार पर सवाल खड़े कर दिए.
भाजपा ने इस सीट को जीतने के लिए ही सुरेंद्र सिंह टीटी को चुनाव से मंत्री बनाकर एक बड़ा दांव खेला था लेकिन क्षेत्र की जनता पर उसका ये दांव फेल हो गया और उपचुनाव में उसे मुंह की खानी पड़ी. इसके साथ ही उस धारणा को भी बल मिला कि मुख्य चुनावों को जीतने वाली भाजपा उपचुनावों में कैसे हार जाती है वो भी तब जब अभी अभी पूर्ण बहुमत के साथ राज्य में उसकी सरकार बनी है, क्या इतनी जल्दी जनता का मोह भंग हो गया है या फिर विपक्ष जो आरोप लगाता है उसमें कुछ सच्चाई है. बता दें कि सुरेंद्र सिंह टीटी को भजनलाल शर्मा ने तब कैबिनेट में शामिल किया था जब चुनाव आचार संहिता लागू हो गयी थी। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गेहलोत ने इस मुद्दे को उठाते हुए कहा था कि चुनाव आयोग को इस मामले में कार्रवाई करनी चाहिए लेकिन चुनाव आयोग खामोश ही रहा. सुरेंद्र सिंह टीटी अभी 6 महीने तक मंत्री बने रह सकते हैं, इस दौरान उन्हें विधायक बनना ही होगा।