भाजपा सरकारों के खिलाफ, फिर वो चाहे केंद्र को मोदी सरकार हो या फिर राज्य की योगी सरकार, भाजपा सांसद वरुण गाँधी हमेशा मोर्चा खोले रहते हैं. विशेषकर किसानों की समस्याओं को लेकर वो हमेशा मुखर रहते हैं. युवाओं के लिए नौकरियों की बात हो या फिर बढ़ती मंहगाई, सरकार के खिलाफ बोलने से वो ज़रा भी नहीं हिचकते। यही वजह है कि अक्सर ये सवाल उठता है कि भाजपा आला कमान वरुण की बग़ावत को बर्दाश्त क्यों कर रहा है, ऐसी क्या मजबूरी है कि वो वरुण गाँधी के खिलाफ किसी भी तरह की कोई कार्रवाई नहीं करता। हालाँकि यह भी सच है कि भाजपा ने वरुण गाँधी हों या फिर उनकी माँ मेनका गाँधी दोनों को हाशिये में डाल रखा है.
क्या वरुण को भाजपा देगी टिकट?
अब चूँकि लोकसभा चुनाव में एक ही साल रह गया है तो सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या वरुण गाँधी को भाजपा इस बार पीलीभीत से उम्मीदवार बनाएगी? और अगर भाजपा वरुण को इसबार टिकट नहीं देती तो क्या वो चुनाव लड़ेंगे, और लड़ेंगे तो किस पार्टी से और किस सीट से? इस बारे में वरुण गाँधी ने कम से कम यह तो साफ़ कर दिया है कि वो पीलीभीत से कहीं जाने वाले नहीं। वो यहीं से चुनाव लड़ेंगे।
देश के भविष्य को खा रहे हैं आवारा पशु
दरअसल दो दिन पहले वरुण गाँधी पीलीभीत में एक जनसंवाद कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे, इस दौरान उन्होंने कहा कि पीलीभीत से उनका खून का रिश्ता है और वो यहाँ से कहीं नहीं जाने वाले। इस मौके पर वरुण ने धर्म की राजनीति करने वालों को एकबार फिर आड़े हाथों लेते हुए कहा कि ऐसे लोगों को भगवान श्रीराम से सीखना चाहिए। उन्होंने आवारा पशुओं का मुद्दा उठाते हुए कहा कि यह छुट्टा जानवर फसलों को नहीं खा रहे हैं बल्कि देश के भविष्य को खा रहे हैं.