कहते हैं कि चुनाव में एक एक वोट का बड़ा महत्त्व होता है, यह बात हिमाचल के चुनाव नतीजों पर बिलकुल सटीक बैठती है. मात्र 37,974 कमी से हिमाचल प्रदेश की डबल इंजन की सरकार कांग्रेस के हाथ के हाथों मात खा गयी. अंदाज़ा लगा सकते हैं कि मुकाबला कितना कांटे का रहा होगा। एक एक सीट पर कितनी सख्त लड़ाई हुई होगी। बता दें कि कांग्रेस पार्टी ने इस बार 40 सीटों पर जीत हासिल की है वहीँ सत्ता रूढ़ भाजपा को 25 सीटों पर जीत मिली है, वहीँ आम आदमी को हिमाचल के लोगों ने सिरे से नकार दिया है.
सिर्फ 37,974 से हार गयी भाजपा
वोट शेयर की बात करें तो कांग्रेस और भाजपा में एक प्रतिशत से भी कम मतों का अंतर है. कांग्रेस को जहाँ 43.9 फीसदी वोट शेयर हासिल हुआ वहीँ भाजपा को 43 प्रतिशत वोट मिला। कांग्रेस को जहाँ 18,52,504 वोट मिले वहीँ भाजपा को 18,14,530 लोगों ने वोट डाला . 2017 की बात करें तो यह अंतर 7.11 भाजपा के पक्ष में था और उसे 44 सीटें मिली थी, वहीँ कांग्रेस को 21 सीटें मिली थीं. इस बार के चुनाव नतीजों को अगर देखें तो जीत का औसत अंतर 6,575 दर्ज किया गया है, इसमें भाजपा की जीत का मत अंतर 7,427 वोट और कांग्रेस का 5,784 वोट से कम रहा .
सबसे नज़दीकी जीत 60 वोटों से
मतों के अंतर से सबसे बड़ी जीत मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को मिली है जिन्होंने ने कांग्रेस के चेतराम को 38,183 मतों के अंतर से हराया. वहीँ सबसे कम अंतर से भोरंज से कांग्रेस उम्मीदवार सुरेश कुमार ने भाजपा के डॉ अनिल धीमान को हराया है, यहाँ जीत का अंतर सर 60 मत रहा है. इस बार कुल आठ सीटें ऐसी रही हैं जहाँ पर जीत का अंतर एक हज़ार से कम का रहा है. इन सीटों में भोरंज (60), शिलाई (382), सुजानपुर (399), रामपुर (567) और श्री रेणुकाजी (860) ,श्री नैना देवीजी (171), बिलासपुर (276) और दरंग (618) हैं इनमें अंतिम तीन सीटें बजपा ने जीतीं हैं, वहीँ सात ऐसी सीटें रहीं जहाँ पर मतों का एक से दो हज़ार के बीच रहा है.