Parliament special session PM Modi Speech: आज से संसद का विशेष सत्र शुरू हो गया है। संसद के विशेष सत्र के पहले दिन पीएम मोदी ने सत्र को संबोधित किया। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पंडित नेहरू और अंबेडकर को याद किया। प्रधानमंत्री ने संसद की ऐतिहासिक उपलब्धियां गिनाई और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के योगदान को याद किया।
पीएम मोदी ने कहा कि ‘पंडित नेहरू के कार्यकाल के दौरान जब बाबा साहब भीमराव अंबेडकर मंत्री थे तो देश में बेस्ट प्रैक्टिस को लागू करने की दिशा में अच्छा काम हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में दिए भाषण में संसदीय इतिहास के कई मौकों को याद किया। पीएम मोदी ने कहा कि इसी सदन में अमेरिका के साथ ऐतिहासिक परमाणु समझौते पर अंतिम मुहर लगी थी। इसी सदन में अनुच्छेद 370 हटाने, वन पेंशन-वन टैक्स, जीएसटी लागू करने और वन रैंक-वन पेंशन का फैसला हुआ। गरीबों को 10 फीसद आरक्षण देने का फैसला इसी सदन में हुआ।
‘इसी सदन में एक वोट से गिरी थी सरकार’
पीएम मोदी ने कहा कि भारत के लोकतंत्र ने तमाम उतार-चढ़ाव इन सदनों ने देखे हैं। ये सदन लोकतंत्र की ताकत हैं और लोकतंत्र का साक्षी है। इसी सदन में चार सांसदों वाली पार्टी सत्ता में होती थी और 100 सांसदों वाली पार्टी विपक्ष में थी। इसी सदन में एक वोट से एक सरकार गिरी थी। जब नरसिम्हा राव घर जाने की तैयारी कर रहे थे। लेकिन इसी सदन की ताकत से वह अगले पांच साल के लिए देश के प्रधानमंत्री बना दिए गए थे। 2000 की अटल जी की सरकार में तीन राज्यों का गठन हुआ था। जिसका हर किसी ने उत्सव मनाया। लेकिन एक राज्य तेलंगाना के गठन के समय खून-खराबा देखा। इसी सदन ने कैंटीन में मिलने वाली सब्सिडी को खत्म किया गया। सदन के सदस्यों ने कोरोना काल में सांसद फंड का पैसा जनहित में दिया था।
पंडित नेहरू और इंदिरा गांधी सरकार की तारीफ
पीएम मोदी ने पंडित नेहरू के नेतृत्व में बनी देश की पहली सरकार की तारीफ की। पीएम मोदी ने कहा कि ‘पंडित नेहरू के कार्यकाल के दौरान बाबा साहब भीमराव अंबेडकर मंत्री थे तो देश में बेस्ट प्रैक्टिस लागू करने की दिशा में काम हुआ। अंबेडकर हमेशा कहते थे कि देश में सामाजिक समानता के लिए देश में औद्योगिकीकरण बहुत जरूरी है। उस समय जो उद्योग नीति लाई थी। वो आज उदाहरण है। लाल बहादुर शास्त्री ने 1965 के युद्ध में जवानों को इसी सदन से प्रेरित किया था। यहीं से उन्होंने हरित क्रांति की नींव रखी थी। बांग्लादेश की मुक्ति का आंदोलन और समर्थन इसी सदन में इंदिरा गांधी के नेतृत्व में हुआ। इसी सदन ने देश के लोकतंत्र पर आपातकाल के रूप में हुआ हमला देखा था। इसी सदन में मतदान की उम्र 21 से 18 करने का फैसला हुआ। जिसमें युवा पीढ़ी को लोकतंत्र का हिस्सा बनाया गया।