Shahid Latif: पठानकोट एयरबेस हमले का मास्टर माइंड आतंकी शाहिद लतीफ की पाकिस्तान में गोली मारकर हत्या कर दी गई है। बता दें कि आतंकी शाहिद लतीफ को 1994 में भारत में गिरफ्तार किया गया था। लतीफ भारतीय जेल में करीब 16 सालों तक बंद रहा था। भारत में सजा पूरी होने के बाद 2010 में उसे पाकिस्तान भेजा था।
पठानकोट एयर बेस हमले का मास्टरमाइंड और मोस्ट वांटेड आतंकी शाहिद लतीफ की पाकिस्तान में हत्या कर दी है। जानकारी के अनुसार, अज्ञात हमलावरों ने पाकिस्तान के प्रांत पंजाब शहर सियालकोट की मस्जिद में उसकी गोली मारकर हत्या की है। सूत्रों के मुताबिक, लतीफ के जम्मू-कश्मीर के कई आतंकियों से कनेक्शन थे। उसने आतंकवादियों संगठनों के साथ मिलकर कई हमलों को अंजाम दिया था। माना जाता है कि लतीफ जैश-ए-मोहम्मद का कमांडर था।
इन साजिशों में शामिल था आतंकी लतीफ
दो जनवरी, 2016 को जैश के आतंकियों ने पठानकोट एयरबेस पर हमला किया था। इसमें सात जवान शहीद हुए थे। तीन दिन तक कॉम्बिंग ऑपरेशन चला था। शाहिद लतीफ आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का सदस्य था। उसने चारों आतंकवादियों को पठानकोट भेजा था। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की जांच में पाया गया कि हमले को अंजाम देने के लिए भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ करने वाले आतंकवादियों के मास्टरमाइंड और आका सभी पाकिस्तान में थे। लतीफ पर उन आतंकियों में शामिल होने का आरोप है। जिन्होंने 1999 में इंडियन एयरलाइंस के विमान को अगवा किया था।
भारत में गिरफ्तार हो चुका लतीफ
लतीफ को नवंबर 1994 में भारत में गिरफ्तार किया गया था। उस पर मुकदमा चलाया गया। भारत में सजा पूरी होने के बाद 2010 में उसे पाकिस्तान भेज दिया गया। भारत से निकाले जाने के बाद शाहिद लतीफ वापस पाकिस्तान की जिहादी आतंकियों के साथ मिल गया था। उसने पठानकोट आतंकी हमले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
मोर गांव का रहने वाला था आतंकवादी लतीफ
शाहिद लतीफ पाकिस्तान के गुजरांवाला के अमीनाबाद कस्बे के मोर गांव का रहने वाला था। आतंकवादी शाहिद लतीफ को जैश के लॉन्चिंग कमांडर के तौर पर जाना जाता है।
ये था पठानकोट एयरबेस में आतंकी हमला
पठानकोट एयरबेस पर आतंकी हमला 2016 में हुआ था। भारतीय सेना की वर्दी में आए हथियारबंद आतंकियों ने हमले को अंजाम दिया था। सभी आतंकवादी भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर रावी नदी के रास्ते आए थे। भारतीय इलाके में पहुंचकर आतंकियों ने गाड़ियां हाईजैक कीं और पठानकोट एयरबेस की ओर बढ़ गए। इसके बाद कैंपस की दीवार कूदकर, लंबी घास से होते हुए आतंकवादी वहां पहुंचे, जहां सैनिक रहते थे। आतंकिों का यहां पर पहला सामना सैनिकों से हुआ। फायरिंग में चार हमलावर मारे गए और तीन जवान शहीद हो गए थे। अगले दिन एक आईईडी धमाके में चार और भारतीय सैनिक शहीद हुए। सुरक्षाबलों को पक्का करने में तीन दिन लग गए कि हालात पूरी तरह अब उनके काबू में हैं।