राज्य विधानसभा चुनावों में बीजू जनता दल के हारने के कुछ दिनों बाद, नवीन पटनायक के करीबी सहयोगी वीके पांडियन ने रविवार को सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया। बता दें कि ओडिशा में 24 साल से राज करने वाली बीजू जनता दल के लोकसभा और विधानसभा चुनाव में बुरी तरह पराजय का ज़िम्मेदार माना जा रहा है. प्रधानमंत्री मोदी ने अपने चुनाव प्रचार में पांडियन को एक चुनावी मुद्दा बना दिया है.
वीके पांडियन ने अपने एक वीडियो संदेश में जानकारी दी कि उन्होंने खुद को सक्रिय राजनीति से दूर करने का फैसला किया है। पांडियन ने कहा अपनी उनकी तरफ से अगर किसी को ठेस पहुंची है तो मुझे खेद है। अगर मेरे खिलाफ इस अभियान की वजह से बीजेडी की हार हुई है तो मुझे खेद है.”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जोर देकर कहा कि भाजपा के मुख्यमंत्री पद के लिए उम्मीदवार ओडिशा में पैदा हुआ और ओडिया बोलने वाला व्यक्ति होगा, इसलिए पांडियन का तमिल मूल भाजपा के चुनाव अभियान का एक अहम हिस्सा बन गया। भाजपा ने यह भी आरोप लगाया था कि अगर बीजेडी फिर से जीतती है तो पांडियन ओडिशा के मुख्यमंत्री बनेंगे। इसका कारण नवीन पटनायक का स्वास्थ्य है।
एक वीडियो संदेश में पांडियन ने बीजेडी कार्यकर्ताओं और नेताओं से माफी भी मांगी, अगर उनके अभियान की वजह से हाल के चुनावों में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उन्होंने कोई संपत्ति अर्जित नहीं की है और सिविल सेवा की शुरुआत से लेकर आज तक उनकी संपत्ति उतनी ही है। उन्होंने यह भी कहा कि उनका दिल हमेशा ओडिशा के लोगों और भगवान जगन्नाथ के लिए रहेगा।
शनिवार को, बीजद प्रमुख नवीन पटनायक ने राज्य विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी की चौंकाने वाली हार के बाद पांडियन का बचाव किया और अपने सहयोगी की आलोचना को “दुर्भाग्यपूर्ण” कहा।