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भारत हमारा मित्र और साझेदार: चीन

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भारत हमारा मित्र और साझेदार: चीन

नई दिल्ली: चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने रविवार को भारत के साथ दोस्ताना संबंध जताते हुए कहा है कि चीन और भारत को सीमा मुद्दे के हल के लिए एक-दूसरे को नुकसान पहुंचाना और आपस में संदेह करना छोड़ देना चाहिए। चीन ने कहा कि भारत हमारा मित्र और साझेदार हैं

संदेह करना छोड़ें
चीनी विदेश मंत्री वांग ने भारत और चीन के बीच खराब संबंध के लिए सीमा विवाद को पूरी तरह से जिम्मेदार नहीं माना है। वांग ने इसका जिक्र करते हुए कहा कि दोनों देश मित्र एवं साझेदार हैं। हमें एक दूसरे पर संदेह करना छोड़ देना चाहिए। वांग ने इन संबंधों के लिए इतिहास को जिम्मेदार ठहराया है। बीते साल मई में पूर्वी लद्दाख में सीमा गतिरोध होने के बाद से भारत और चीन के बीच संबंधों की मौजूदा स्थिति पर अपने वार्षिक संवाददाता सम्मेलन में ये बातें कही। विदेश मंत्री वांग ने एक सवाल के जवाब में कहा कि ये जरूरी है कि दोनों देश अपने विवादों का निपटारा करें और द्विपक्षीय सहयोग का विस्तार करें। उन्होंने कहा, ‘‘सीमा विवाद इतिहास की देन है। ये चीन-भारत संबंध के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार नहीं है।’’

एस जयशंकर से 75 मिनट बात
विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ टेलीफोन पर 75 मिनट तक हुई बातचीत के बाद सीमा मुद्दे पर वांग की यह टिप्पणी आई है। वहीं, शुक्रवार को भारतीय राजदूत विक्रम मिस्री ने चीन के उप विदेश मंत्री लुओ झाओहुई से मुलाकात की थी और पूर्वी लद्दाख के सभी इलाकों से सैनिकों की वापसी प्रकिया पूरी करने की अपील की थी। वांग ने अपनी टिप्पणी में कहा कि विश्व यह उम्मीद करता है कि चीन और भारत, दोनों देश विकासशील देशों के साझा हितों की रक्षा करें और विश्व में बहुध्रुवीय व्यवस्था को मजबूत करें।

लद्दाख गतिरोध पर चुप्पी
उन्होंने पूर्वी लद्दाख गतिरोध का सीधे तौर पर जिक्र किए बगैर कहा, ‘‘सीमावर्ती क्षेत्र में पिछले साल जो कुछ सही या गलत हुआ, वह स्पष्ट है…. ’’वांग ने कहा, ‘‘हम सीमा विवाद वार्ता एवं परामर्श के जरिए हल करने को प्रतिबद्ध हैं। साथ ही, हम अपने संप्रभु अधिकारों की भी रक्षा करने का संकल्प लेते हैं।’’ चीन के विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘कई अहम मुद्दों पर, हमारे रुख समान हैं या करीबी हैं और समान राष्ट्रीय वास्तविकताओं के चलते ऐसा है, इसलिए चीन और भारत एक दूसरे के मित्र एवं साझेदार हैं, ना कि खतरा या प्रतिद्वंद्वी हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘दोनों देशों को सफल होने के लिए एक-दूसरे को नुकसान पहुंचाने के बजाय एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए। हमें एक-दूसरे पर संदेह करने के बजाय सहयोग बढ़ाना चाहिए।’’

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