Demonetisation History: भारत में पहली बार नोटबंदी अंग्रेजों के समय में 1946 में हुई थी। गर्वनर जनरल सर आर्चीबाल्ड वेवेल ने 12 जनवरी 1946 को हाई करेंसी वाले नोटों की बंदी के लिए अध्यादेश लाए थे।
देश में कई बार पर लीगल टेंडर या नोटों से जुड़े कई अहम फैसले पहले भी लिए जा चुके हैं। देश में कभी 5,000 और 10,000 के नोट चलन में थे। जिन्हें नोटबंदी जैसा फैसला लेकर बाजार में प्रचलन से हटा दिया था।
पहली बार 1946 में नोटबंदी
पहली बार देश में नोटबंदी आजादी के पहले 1946 में हुई। वायसराय और गर्वनर जनरल सर आर्चीबाल्ड वेवेल ने 12 जनवरी 1946 को नोटों की बंदी का फैसला लिया था। इस फैसले के 13 दिन बाद यानी 26 जनवरी की रात 12 बजे के बाद ब्रिटिश काल में जारी हुए 500 रुपए, 1000 रुपए व 10,000 रुपए के नोट बंद कर दिए गए थे। आजादी से पहले 100 रुपए से ऊपर के सभी नोट बंद कर दिए गए थे। सरकार ने उस समय यह फैसला कालेधन के रूप में पड़े नोटों को वापस मंगाने के लिए लिया था। बताया जाता है कि उस समय व्यापारियों ने मित्र देशों को सामान निर्यात कर मोटा मुनाफा कमाया था और सरकार की नजर से छुपाने की कोशिश कर रहे थे।
कालाधन खत्म करने को 1978 में नोटबंदी
कालेधन को खत्म करने के लिए साल 1978 में नोटबंदी का फैसला लिया गया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने बड़े नोटों को बंद करने की घोषणा की थी। जानकारी के मुताबिक नोटबंदी के फैसले से लोगों को काफी परेशानी उठानी पड़ी थी। मोरारजी देसाई की सरकार ने 16 जनवरी 1978 को 10,000 रुपए, 5000 रुपये और एक हजार रुपए के नोटों को बंद करने की घोषणा की थी। सरकार ने इस नोटबंदी की घोषणा के अगले दिन 17 जनवरी को सभी बैंकों के अलावा सरकारों के अपने ट्रेजरी विभाग को बंद रखने के निर्देश हुए थे।
1938 में छापी गई थी 5 रुपए की पहली पेपर करंसी
रिजर्व बैंक ने जनवरी 1938 में पहली बार पेपर करंसी छापी थी। जो 5 रुपए के नोट के रूप में थी। इसी साल 10,000, 1,000 और 10 रुपए के नोट छापे गए थे। लेकिन 1946 में 10,000 और एक हजार के नोट बंद कर दिए गए थे।
2016 में मोदी सरकार ने लिया था नोटबंदी का फैसला
8 नवंबर 2016 को मोदी सरकार ने नोटबंदी की थी। इस दौरान सरकार ने एक हजार रुपए के नोट को बंद करने का फैसला किया था। इसके बाद पांच सौ के पुराने नोटों को चलन से बाहर कर दिया था। नोटबंदी के बाद 2000 रुपए के नए नोट जारी किए गए थे। सरकार के इस फैसले की विपक्ष ने कड़ी आलोचना की थी।