मेरठ। इस समय मुस्लिमों की सपा से नाराजगी चल रही है और एक-एक कर मुस्लिम नेता सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का साथ छोड़ रहे हैं। ये वो मुस्लिम नेता हैं जिन्होंने सपा संस्थापक मुलायम सिंह का हर हालतों में साथ दिया और मुश्किलों में उनके साथ खड़े रहे। अब जबकि सपा की कमान इस समय पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के हाथ में है तो ऐसे में ये मुस्लिम नेता उनके साथ एक पल भी नहीं रहना चाहते हैं। मुस्लिमों की सपा से नाराजगी और दूरी प्रदेश में नए राजनीतिक समीकरण की ओर इशारा कर रहे हैं।
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लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि सपा से अलग होकर ये मुस्लिम नेता कहां जाएंगे। क्या अलग से कोई राजनैतिक पार्टी बनाएंगे या फिर आजम खा के नेतृत्व को स्वीकार कर कुछ अलग से करने के मूड बना रहे है। अब तक सपा के कई मुस्लिम नेता इस्तीफा दे चुके हैं। वहीं कुछ ऐसे भी है जो कि पार्टी के खिलाफ जहर उगल रहे हैं। इनमें आजम के मीडिया प्रभारी से लेकर सांसद शफीकुर्रहमान बर्क तक शामिल हैं। अब तक जिन नेताओं ने बागी तेवर अपनाए हैं। उनमें विधायक आजम खान के मीडिया प्रभारी फसाहत अली खां,संभल से सपा सांसद डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क, रालोद के प्रदेशाध्यक्ष रहे डॉ. मसूद अहमद ने भी अखिलेश को तानाशाह कहते हुए सपा पर टिकट बेचने का आरोप लगाया।
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सहारनपुर से नेता सिकंदर अली, मुलायम सिंह यूथ बिग्रेड के सहारनपुर जिला उपाध्यक्ष अदनान चौधरी,सुल्तानपुर नगराध्यक्ष कासिम राईन,दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री रहे इरशाद खान,बिजनौर नूरपुर ब्लॉक अध्यक्ष मोहम्मद हमजा शेख आदि शामिल हैंं। सपा में मुस्लिम कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों का मानना है कि अखिलेश यादव,मुसलमानों के समर्थन में आवाज नहीं उठा रहे हैं। चुनाव में मुस्लिमों ने एकजुट होकर सपा को वोट किया लेकिन अखिलेश ने उनको वो सम्मान नहीं दिया जो कि सपा में उनको मिलता रहा है।