नई दिल्ली। देश के समाजवादी वर्ग की एक बुलंद आवाज 12 जनवरी, 2023 को हमेशा के लिए खामोश हो गई। जेडीयू के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद शरद यादव चिर निंद्रा में सो गए। शरद भले ही मध्य प्रदेश में जन्में हो लेकिन छात्र राजनीति में कॉलेज की पंचायत से लेकर लोकतंत्र की बड़ी अदालत संसद तक उनकी आवाज गूंजती रही।
बिहार और यूपी रही सियासत की धुरी
छात्र राजनीति से लेकर संसद तक का सफर तय करने वाले शरद ने मध्य प्रदेश के होते हुए भी राजनीतिक जीवन की धुरी बिहार और यूपी की सियासत से बनाई। शरद यादव ने पहले मध्य प्रदेश उसके बाद उत्तर प्रदेश और फिर बिहार में राजनीतिक दबदबा दिखाया। इसके बाद राष्ट्रीय राजनीति में अपना अलग स्थान बनाया।
पढ़ाई में काफी होशियार
शरद यादव का जन्म 1 जुलाई, 1947 को होशंगाबाद मप्र के बंदाई गांव के किसान परिवार में हुआ था। शरद बचपन से पढ़ाई में काफी होशियार थे। प्रारंभिक शिक्षा के बाद उन्होंने जबलपुर के इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला लिया और बीई डिग्री ली।
कॉलेज के छात्र संघ अध्यक्ष रहे
शरद उस दौर की राजनीति से प्रभावित हुए। उन्होंने कॉलेज में छात्र संघ का चुनाव लड़ा और जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्र संघ अध्यक्ष चुने गए। शरद यादव एक कुशल वक्ता थे।
लोहिया के समाजवादी विचारों से प्रेरित
शरद यादव छात्र राजनीति में थे तब देश में लोकनायक जय प्रकाश नारायण का लोकतंत्र वाद और राम मनोहर लोहिया के समाजवाद की लहरें चल रही थीं। शरद यादव इनसे प्रभावित हुए। लोहिया के समाजवादी विचारों से प्रेरित होने पर शरद यादव ने मुख्य राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। युवा नेता के तौर पर कई आंदोलनों में भाग लिया। आपातकाल के दौरान मीसा बंदी बनकर जेल गए।
27 की उम्र में लोकसभा चुनाव जीता
शरद यादव के राजनीतिक जीवन की शुरुआत सन 71 से हुई। शरद यादव सात बार लोकसभा सांसद रहे। जबकि तीन बार राज्य सभा सदस्य बने। शरद यादव 27 साल की उम्र में 1974 में मध्य प्रदेश की जबलपुर लोकसभा सीट से सांसद बने थे। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। उत्तर प्रदेश की बदायूं लोकसभा सीट और इसके बाद बिहार की मधेपुरा लोकसभा सीट से सांसद रहे।
केंद्र सरकार में अहम मंत्रालय संभाला
शरद यादव जनता दल के संस्थापक सदस्यों में थे। शरद यादव 1989-1990 में केंद्रीय टेक्सटाइल और फूड प्रोसेसिंग मंत्री रहे। उन्हें 1995 में जनता दल कार्यकारी अध्यक्ष चुना गया। 1996 में बिहार से वो पांचवीं बार लोकसभा सांसद बने। 1997 में जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। इसके बाद 1998 में जॉर्ज फर्नांडीस के सहयोग से जनता दल यूनाइटेड बनाई और एनडीए के घटक दलों में शामिल होकर केंद्र सरकार में मंत्री बने। 2004 में शरद यादव राज्यसभा सदस्य रहे।
2009 में सांसद बने लेकिन 2014 का लोकसभा चुनाव मधेपुरा सीट से हार गए। जीवन के अंतिम पड़ाव में वो अपने घनिष्ठ सहयोगी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मन-मुटाव हुआ। शरद यादव ने इसके बाद जेडीयू से नाता तोड़ लिया।