गुजरात दंगों के दौरान गैंग रेप पीड़िता बिलकीस बानो ने इन्साफ के लिए एकबार फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है. बिलकीस बानो ने 13 मई के उस आदेश पर दोबारा विचार की मांग की जिसमें कोर्ट ने सभी 11 दोषियों की रिहाई का फैसला गुजरात सरकार पर छोड़ दिया था। इसके बाद केंद्र की अनुमति के बाद गुजरात सरकार ने उन सभी आरोपियों के रिहाई के आदेश जारी कर दिए थे. गैंग रेप और हत्या के आरोपियों की रिहाई पर केंद्र और गुजरात की भाजपा सरकार सवालों के कटघरे में आ गयी, हालाँकि उसने अपने बचाव में कानून की दलीलें पेश की थीं.
बिलकीस ने दाखिल कीं दो याचिकाएं
जानकारी के मुताबिक बिलकिस बानो की तरफ से दो याचिकाएं दाखिल की गयी हैं. पहली याचिका में सभी 11 दोषियों की रिहाई को चैलेन्ज करते हुए सभी को दोबारा जेल भेजने की मांग की गई है वहीँ दूसरी याचिका में कहा गया है कि शीर्ष अदालत उस फैसले पर पुनर्विचार करे जिसमें कहा गया था कि दोषियों की रिहाई पर फैसला गुजरात सरकार करेगी. बिलकिस बानो की तरफ से कहा गया है कि चूँकि केस का ट्रायल महाराष्ट्र में चला था इसलिए इसका फैसला भी महाराष्ट्र सरकार द्वारा करना उपयुक्त होगा.
CJI ने दिया सुनवाई का आश्वासन
बिलकिस द्वारा सुप्रीम कोर्ट में मामले की जल्द सुनवाई की भी मांग की गई है. CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि वह इस मुद्दे की जांच करेंगे कि क्या दोनों याचिकाएं एक साथ सुनी जा सकती हैं, और क्या उन्हें एक ही बेंच के सामने सुना जा सकता है. CJI ने कहा कि पहले समीक्षा सुननी होगी, इस मामले को न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी के समक्ष आने दीजिए। जिसपर बिलकीस बानो की अधिवक्ता शोभा गुप्ता ने तर्क दिया कि इस बात की संभावना कम है कि जस्टिस अजय रस्तोगी की अगुवाई वाली बेंच मामले की सुनवाई कर पाएगी, क्योंकि वह अब संविधान पीठ की सुनवाई का हिस्सा हैं। गुप्ता ने मामले की सुनवाई खुली अदालत में किये जाने की मांग की। बता दें कि गुजरात दंगों के दौरान 3 मार्च, 2002 को दाहोद जिले के लिमखेड़ा तालुका में भीड़ ने 14 लोगों की हत्या कर दी थी। इसी दौरान गर्भवती बिलकिस बानो के साथ गैंग रेप किया गया था. भीड़ ने बिलकिस बानों की तीन साल की बेटी को भी मार डाला था ।