केंद्र की भाजपा सरकार पर विपक्ष अक्सर इतिहास को तोड़ने मरोड़ने का आरोप लगाता रहा है, काँग्रेस और दूसरी विपक्षी पार्टियां जहाँ वीर सावरकर को माफीवीर की संज्ञा देती हैं वहीँ भाजपा उन्हें एक महान स्वतंत्रता सेनानी मानती है. इसी परिपेक्ष्य में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली में एक पुस्तक विमोचन के अवसर पर कहा कि औपनिवेशिक अतीत के सभी अवशेषों से छुटकारा पाने के इरादे के अनुरूप, इतिहास को औपनिवेशिक अतीत से मुक्त करना सबसे महत्वपूर्ण है. अब भारतीय परिप्रेक्ष्य से इतिहास लिखने का समय आ गया है और ऐसा करने से हमें कोई नहीं रोक सकता।
सशस्त्र क्रांति के योगदान को कम नहीं किया जा सकता
इस मौके पर अमित शाह ने कहा कि भारत की स्वतंत्रता में अहिंसक संघर्ष का बड़ा योगदान था यह सही है लेकिन यह नरेटिव बनाना कि इसमें दूसरों की कोई भूमिका नहीं थी, गलत है. अमित शाह ने कहा कि सशस्त्र क्रांति की समानांतर धारा के बिना आजादी पाने में कई और दशक लग जाते. हमें यह समझना होगा कि लाखों लोगों के बलिदान और रक्तपात के बाद हमें आज़ादी मिली है, कोई अनुदान के रूप में नहीं. आज़ादी की कथा में एक नरेटिव को जनता में वर्षों से स्थापित किया गया और जनता पर इस दृष्टिकोण को थोपा गया है.
इतिहास को यथार्थवादी बनाना होगा
अमित शाह ने कहा वो ये नहीं कहते कि स्वतंत्रता संग्राम में अहिंसक संघर्ष की कोई भूमिका नहीं है. आज़ादी पाने में इसका बहुत बड़ा योगदान है लेकिन सशस्त्र क्रांति का अपना महत्त्व है इसकी नींव 1857 की क्रांति में रखी गयी थी. अमित शाह ने कहा कि यह सरकार के साथ ही इतिहासकारों की भी जिम्मेदारी है कि वो नई पीढ़ी के सामने सही ऐतिहासिक तथ्यों को रखें. भाजपा नेता ने कहा कि इतिहास को अंग्रेज़ों के चश्मे से लिखा गया. अमित शाह ने कहा कि लोग इतिहास को तोड़ने मरोड़ने की बात कहते हैं लेकिन अब हम इसे सही तरीके से लिखेंगे और हमें कोई रोक नहीं सकता, इतिहास को यथार्थवादी बनाना होगा.