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तो क्या मेरठ को अपने लिए लकी मानते हैं प्रधामंत्री मोदी ?

उत्तर प्रदेशतो क्या मेरठ को अपने लिए लकी मानते हैं प्रधामंत्री मोदी ?

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लगातार तीसरी बार मेरठ से होगा भाजपा की चुनावी रैली का आगाज़

पारुल सिंघल

Narendra modi in meerut :आगामी लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है। और इसी के साथ पश्चिमी यूपी में सियासत की सरगर्मियां तेज हो चली हैं। जाटलैंड कहे जाने वाले वेस्ट यूपी के मेरठ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी चुनावी रैली का आगाज करने जा रहे हैं। आज मोदीपुरम में उनकी बड़ी रैली का आयोजन होगा। 15 साल बाद राष्ट्रीय लोकदल और भारतीय जनता पार्टी एक साथ मैदान में उतर रहे हैं। एकजुटता के संदेश के साथ प्रधानमंत्री और आरएलडी अध्यक्ष जयंत चौधरी पहली बार मंच साझा करेंगे। माना जा रहा है कि “जिसके साथ जाट, उसके ठाठ” वाली कहावत को भाजपा इस गठबंधन के साथ कैश करने के पूरे प्रयास कर रही है। प्रधानमंत्री की मेरठ से शुरू होने वाली इस रैली को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। यह भी कहा जा रहा है कि मेरठ को प्रधानमंत्री अपने लिए काफी भाग्यशाली मानते हैं। यही वजह है कि लगातार तीसरी बार मेरठ से ही वह अपने चुनाव अभियान की शुरुआत कर रहे हैं।

2014 में मिली थी बड़ी जीत

वर्ष 2014 से पहले यदि भाजपा की स्थिति को देखा जाए तो काफी कमजोर थी । यह वही दौर था जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनावों के लिए पहली बार मेरठ से अपनी रैली का आगाज किया था। इस दौरान अमित शाह ने भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपना डेरा जमा लिया था। उन्होंने कैराना समेत मुजफ्फरनगर, बागपत, बिजनौर समेत वेस्ट यूपी के कई जिलों में जाकर अभियान छेड़ा था। घर-घर जाकर जनसंपर्क भी साधा था। जिसका जबरदस्त फायदा भाजपा को मिला और 2014 के चुनाव उनके लिए बड़ी जीत लेकर आए थे। इसके बाद से ही पार्टी लगातार मजबूती से अपने कदम आगे बढ़ाती चली गई। इसी दौरान भाजपा ने जातीय समीकरण को धत्ता बताते हुए तीन तलाक के मुद्दे पर मुस्लिम महिलाओं के वोट भी झड़पे थे।

2019 में भी बनी थी बात

2019 के लोकसभा चुनावों में भी प्रधानमंत्री ने अपनी पहली रैली मेरठ से ही शुरू की थी। मेरठ के मोदीपुरम से उन्होंने वेस्ट यूपी की जनता को साधने का जो प्रयास किया था वह सफल रहा। उस दौरान भी भाजपा ने चुनाव में बड़ी जीत दर्ज करवाई और लगातार दूसरी बार अपनी सरकार बनाई। इसी बीच अन्य सियासी दलों ने भी वेस्ट यूपी को साधने का भरपूर प्रयास किया। यह भी माना जाता है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश चुनावी हवाओं का रुख बदलने की बड़ी कुव्वत रखती है। यहां की आबो हवा ही सरकार तय करती है। इस नजर से भी वेस्ट यूपी का सियासत में अपना अलग ही ओहदा कायम है।

विश्लेषकों के अनुसार एक दूसरा पहलू ये भी है कि लोकसभा चुनाव का पहला चरण पश्चिमी यूपी से ही शुरू होता है। यहां की तस्वीर देखी जाए तो मेरठ प्रदेश के सबसे बड़े मंडल के तौर पर जाना जाता है। राजनैतिक विश्लेषक इसे वेस्ट यूपी की राजधानी तक मानते हैं। दिल्ली के बेहद करीब और राजनैतिक तौर पर काफी सक्रिय रहने वाले मेरठ में राजनैतिक दलों द्वारा वोटर को साधना न केवल टेढ़ी खीर है बल्कि वोटर के मिजाज को समझना भी काफी मुश्किल है। जातीय समीकरणों के अलावा सोशल इंजीनियरिंग और मुद्दों पर वोटर को समझना पड़ता है। इसे में ये क्षेत्र अपने आप में काफी महत्व पूर्ण भी है।

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