अमित बिश्नोई
महाराष्ट्र विधानसभा के चुनाव में महायुति की महा जीत को जहाँ भाजपा और उसकी सहयोगी पार्टियां सेलेब्रेट कर रही हैं, वहीँ इस जीत को प्रधानंमंत्री के करीबी मित्र कहे जाने वाले उद्योगपति गौतम अडानी की जीत भी बताया जा रहा है और उसकी वजह है धारावी की बस्ती जो एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती से विख्यात है. इस झुग्गी बस्ती को पुनर्विकसित करने की ज़िम्मेदारी अडानी समूह को मिली है और ये 3 बिलियन अमेरिकी डॉलर की परियोजना है, यानि कि बहुत बड़ी रकम. इस चुनाव में ये भी दिलचस्प है कि महाविकास अघाड़ी को महा पटखनी देने वाली महायुति धारावी में खुद पटखनी खा गयी. धारावी विधानसभा सीट से कांग्रेस पार्टी की DR. GAIKWAD JYOTI EKNATH ने महायुति की सहयोगी पार्टी शिवसेना के RAJESH SHIVDAS KHANDARE को 23459 मतों से पराजित किया। यानि पूरा महाराष्ट्र भले ही महायुति के शासन से खुश हो लेकिन धारावी की जनता कतई खुश नहीं है और उसने चुनाव में मतों के अधिकार का इस्तेमाल करके ये जता भी दिया है लेकिन अफ़सोस की बात अब ये है कि उनका विरोध बेकार चला गया क्योंकि महायुति को, विशेषकर भारतीय जनता पार्टी को जिस तरह प्रचंड जीत मिली है ऐसे में धारावी प्रोजेक्ट को अब कोई आंच नहीं आने वाली, ये प्रोजेक्ट अब अडानी ग्रुप बिना किसी बाधा के पूरा करेगा।
चुनाव प्रचार के दौरान विपक्षी दल उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी) ने एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती के पुनर्विकास के लिए अडानी समूह को दी गई सारी जमीन वापस लेने का वादा किया था और सत्ता में आने पर इस परियोजना को पूरी तरह से रद्द करने का वादा किया था। गौतम अडानी जो अमेरिकी अदालत में रिश्वतखोरी के आरोपों का सामना कर रहे हैं, उनके लिए गिरफ़्तारी वारंट भी जारी हो गया है, अगर महाविकास अघाड़ी की इस चुनाव में जीत हो जाती तो ये उनके लिए बहुत बड़ा झटका साबित होती। उनके हाथ से एक ऐसी परियोजना निकल जाती जो उनके लिए अबतक की सबसे बड़ी परियोजना थी और है. अब जिस तरह के चुनाव परिणाम आये हैं और जिस तरह से भाजपा समेत शिवसेना और एकनाथ शिंदे और अजीत पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को तीन-चौथाई से अधिक सीटें मिली हैं तो देश के सबसे बड़े सेठ के माथे से चिंताओं की लकीरें मिट गयी हैं.
अडानी की 620 एकड़ की बेशकीमती धारावी योजना इस झुग्गी बस्ती को शानदार शहरी केंद्र में बदलने की है। मुंबई के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास स्थित घनी आबादी वाली झुग्गियों में रहने वाले करीब सात लाख लोगों को 350 वर्ग फुट तक के फ्लैट मुफ्त दिए जाने हैं। इस चुनाव में धारावी का पुनर्विकास एक राजनीतिक मुद्दा बन गया था, क्योंकि विपक्ष ने आरोप लगाया था कि अडानी समूह को अनुचित तरीके से लाभ पहुँचाने की कोशिश की गयी है. राहुल गांधी ने चुनाव प्रचार के दौरान बार-बार धारावी के पुनर्विकास के मुद्दे को उठाया था जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी पार्टी भाजपा पर अडानी जैसे साथियों को और समृद्ध करने का आरोप लगाया गया था।
बता दें कि धारावी में अनुमानित 10 लाख लोग रहते हैं, लेकिन योजना के पात्र लोगों की संख्या लगभग 700,000 बताई जा रही है क्योंकि निवासी परिभाषा के अनुसार, 1 जनवरी, 2000 से पहले इस क्षेत्र में रहने का प्रमाण होना चाहिए। बाकी लोगों को शहर के अन्य हिस्सों में घर मिलेंगे, इस प्रस्ताव का स्थानीय लोगों ने ज़ोरदार विरोध किया है, क्योंकि वे चाहते हैं कि किसी भी निवासी या व्यवसाय के मालिक को उजाड़ा न जाए। अडानी ने 2022 में इस झुग्गी बस्ती को फिर से बनाने का ठेका जीता था जो वित्तीय राजधानी में प्रमुख रियल एस्टेट पर स्थित है। अडानी समूह को इसे सात वर्षों में विकसित करना है. मतदान से कुछ हफ़्ते पहले ही महाराष्ट्र सरकार ने धारावी पुनर्विकास के लिए 256 एकड़ साल्ट-पैन भूमि के अधिग्रहण को मंज़ूरी दी थी। साल्ट-पैन भूमि केंद्र सरकार से अधिग्रहित की जाएगी और महाराष्ट्र सरकार को पट्टे पर दी जाएगी, जो 620 एकड़ की झुग्गी बस्ती का पुनर्विकास कर रही है जो दुनिया में सबसे बड़ी है। राज्य सरकार के साथ मिलकर इस परियोजना को लागू किया जा रहा है और इस प्रोजेक्ट में अडानी समूह की 80 प्रतिशत हिस्सेदारी है. इस ज़मीन का इस्तेमाल धारावी के निवासियों के लिए कम लागत वाले और किफ़ायती आवास बनाने में किया जाएगा। मौजूदा निवासियों और व्यवसायों का सर्वेक्षण किया जा रहा है ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि धारावी में किसे फिर से बसाया जाएगा या किसे दूसरी जगह बसाया जाएगा।
महाराष्ट्र सरकार ने 2022 में धारावी के पुनर्विकास के लिए एक नया टेंडर जारी किया, जबकि पहले के पुनर्निर्माण सौदे को रद्द कर दिया गया था। अडानी समूह, जो मुंबई के हवाई अड्डे का संचालन भी करता है और शहर में बिजली वितरित करता है, ने 2022 में 5,070 करोड़ रुपये का भुगतान करके परियोजना जीती थी – जो अगले सबसे बड़े बोलीदाता द्वारा उद्धृत राशि से 2.5 गुना अधिक है – पुनर्निर्मित धारावी में पात्र झुग्गीवासियों को रसोई और शौचालय के साथ घर प्रदान करने के लिए। परियोजना को क्रियान्वित करने वाली फर्म में समूह की 80 प्रतिशत हिस्सेदारी है, जबकि शेष राज्य के पास है।
दुबई स्थित कंसोर्टियम सेकलिंक टेक्नोलॉजीज, जिसने शुरू में 2018 की निविदा रद्द कर दी थी, ने नए अनुबंध को बॉम्बे उच्च न्यायालय में चुनौती दी, जिसमें आरोप लगाया गया कि प्रक्रिया बोलीदाताओं की निवल संपत्ति आवश्यकताओं को बढ़ाकर और कंसोर्टियम के सदस्यों को सीमित करके अडानी को “अवैध रूप से” लाभ पहुँचा रही है। राज्य सरकार ने कहा कि सेकलिंक के साथ कोई अनुबंध पर सहमति नहीं बनी थी और कोविड महामारी के मद्देनजर बदली हुई वित्तीय और आर्थिक स्थिति के कारण नई निविदा का आदेश दिया गया था। इसने इस बात पर भी जोर दिया कि सेकलिंक कंसोर्टियम को बोली से बाहर नहीं रखा गया था। फिलहाल नए चुनाव परिणामों ने इस योजना को लेकर सारे किन्तु परन्तु समाप्त कर दिए हैं. इस चुनाव में अकेले भाजपा को ही इतनी शक्ति मिल चुकी है कि उसकी सहयोगी पार्टियां अब उसे चुनौती देने की स्थिति में नहीं हैं. उसे अकेले दम पर सरकार बनाने के लिए सिर्फ 13 और विधायक चाहिए और भाजपा के लिए ये संख्या काफी छोटी संख्या है. भाजपा ये संख्या शिवसेना और एनसीपी दोनों से ही हासिल कर सकती है। शिवसेना के टिकट से कई भाजपा उम्मीदवार चुनाव लड़े थे और जीते भी हैं. कहने का मतलब सिर्फ यह है कि महाराष्ट्र का चुनाव जीतना भाजपा के लिए बहुत ज़रूरी था जिसकी सबसे बड़ी वजह धारावी की झुग्गी बस्ती थी.