अब यह तय होता जा रहा है कि समान नागरिक संहिता आने वाले राज्यों और लोकसभा के चुनाव में मुख्य चुनावी मुद्दा बनने जा रहा है. एक और भाजपा शासित राज मध्य प्रदेश ने भी समान नागरिक संहिता की तरफ कदम आगे बढ़ाने की घोषणा कर दी है. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज चौहान ने घोषणा की है कि राज्य सरकार जल्द इस मामले में एक कमेटी गठित करने जा रही है. दरअसल भाजपा का यह पुराना एजेंडा है जिसे केंद्र सरकार को लागू करना है लेकिन उसने इस मामले में भाजपा शासित राज्यों को आगे कर दिया है ताकि यह मुद्दा लगातार गर्म रहे और 2024 के लोकसभा चुनावों में उसे भुनाया जा सके.
समान नागरिक संहिता देश की सबसे बड़ी ज़रुरत
शिवराज चौहान ने आज इस बात का एलान करते हुए कहा कि समान नागरिक संहिता देश की सबसे बड़ी ज़रुरत है, अब समय आ गया है कि इसे लागू हो जाना चाहिए. बड़वानी की एक सभा में उन्होंने इसके समर्थन में कई तर्क देते हुए कहा कि आज मैं यहाँ अलख जगाने आया हूँ, उन्होंने कहा कि एक देश में दो संविधान कब तक चलेंगे, एक से ज़्यादा शादियां कब तक लोग करेंगे, बेटियों का हक़ कब तक लोग हड़पेंगे। उन्होंने कहा कि समान नागरिक संहिता लागू हो जाएगी तो एक ही पत्नी सबको रखनी पड़ेगी।
मध्य प्रदेश में अगले साल हैं विधानसभा चुनाव
बता दें कि मध्य प्रदेश में 2023 में विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में शिवराज का समान नागरिक संहिता का मुद्दा छेड़ना और एक ही पत्नी रखने की बात कहना एक ख़ास समुदाय पर हमले के रूप में देखा जा रहा है. इसे चुनावी तैयारी के रूप धार्मिक ध्रूवीकरण के प्रयास के रूप में आँका जा रहा है. बता दें कि शिवराज से पहले, असम उत्तराखंड ने समान नागरिक संहिता का मामला उठाया है और कमेटी का गठन भी संभवतः कर दिया है. गुजरात चुनाव में भी भाजपा ने इस मुद्दे को चुनावी मुद्दा बनाया है और वहां भी कमिटी के गठन की बात कही गयी है.