देहरादून- हिमाचल और गुजरात के चुनाव के बाद उत्तराखंड की सियासत हलचल तेज हो गई है. भाजपा के अंदर मंथन का दौर शुरू हो गया है. शनिवार को बीजेपी पदाधिकारियों की बैठक आयोजित की गई. जिसमें भाजपा के राष्ट्रीय नीति को जन-जन तक पहुंचाने को लेकर चर्चा तो की ही गई. साथ ही उत्तराखंड में संगठन के जिला अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर विधायकों की नाराजगी और मंत्रियों के कार्यों के लेकर भी मंथन किया गया. प्रदेश प्रभारी दुष्यंत गौतम की इस बैठक में प्रदेश पदाधिकारी सभी मोर्चा प्रदेश प्रभारी, जिला अध्यक्ष, जिला प्रभारी, जिला सह प्रभारी, प्रवक्ता, मोर्चाओं के अध्यक्ष व प्रदेश से राष्ट्रीय पदाधिकारी शामिल हुए.
हिमाचल और दिल्ली एमसीडी का चुनाव हारने के बाद उत्तराखंड बीजेपी में भी हलचल दिखाई देने लगी है. शनिवार को प्रदेश मुख्यालय में प्रदेश पदाधिकारियों के साथ मंथन का दौर शुरू हुआ. मंथन के इस दौर में मीडिया को G 20 के ऐतिहासिक मेजबानी में उत्तराखंड को दिए 2 कार्यक्रम की चर्चा बताई गई, 51 फीसदी वोट शेयर के लक्ष्य को लेकर चर्चा बताया गया. पदाधिकारियों की इस मीटिंग से छन कर आई खबरों के अनुसार बैठक में विधायकों की नाराजगी मंत्रियों के कार्यशैली पर भी चर्चा की गई. हालांकि प्रदेश प्रभारी इस तरह की किसी भी चर्चा की जानकारी को मीडिया से छुपाते हुए ही नजर आए.
क्यों है विधायक नाराज?
प्रदेश पदाधिकारियों के साथ चले मंथन के इस दौर में जहां केंद्रीय कार्यसमिति की बैठक में लिए गए निर्णय को लेकर चर्चा की गई. तो वही हाल ही में उत्तराखंड भाजपा जिलाध्यक्ष की ताजपोशी को लेकर विधायकों की नाराजगी की आवाज भी सुनाई दी. विधायकों ने प्रदेश प्रभारी के सामने जिला अध्यक्षों की नियुक्ति से पहले उनकी रायशुमारी ना लिए जाने का सवाल उठाया. जिस पर प्रदेश प्रभारी गौतम ने भी नाराजगी जताते हुए कहा अगर ऐसा हुआ है तो ऐसा नहीं होना चाहिए. बैठक में धामी सरकार के मंत्रियों की कार्यशैली को लेकर भी संगठन पदाधिकारियों ने सवाल खड़े किए. उच्च पदाधिकारियों के तरफ से उठाई गई इस बात में मंत्रियों के गांव में प्रवास ना करने की बात रखी गई. जिस पर सभी मंत्रियों को हिदायत दी गई.
51 फ़ीसदी वोट शेयरिंग का मूल मंत्र
बैठक बैठक में भाजपा प्रदेश प्रभारी ने पदाधिकारियों को विज्ञान फ़ीसदी वोट शेयरिंग हासिल करने के का मूल मंत्र बताया. गौतम ने कहा कि समय आ गया है कि हमे 51 फीसदी के बड़े लक्ष्य की ओर योजनाबद्ध तरीके आगे बढ़ना होगा. जिसका मूलमंत्र डोर टू डोर से बदलकर हाउस टू हाउस होगा. उन्होंने कहा कि हमे जनता के घर का दरवाजा खटखटाने तक ही सीमित नही रहना है. बल्कि उसके घर में बैठकर समस्याओं को जानना और दूर करने का प्रयास करना होगा. अब हमें सत्ता हासिल करने से आगे निकलकर “एक जानकारी एक भारत, श्रेष्ठ भारत” के मिशन को पूरा करते हुए विश्वगुरु बनना है.