देहरादून- उत्तराखंड में विधानसभा भर्ती घोटालों के मामले में डॉ सुब्रमण्यम स्वामी के पत्र ने उत्तराखंड के युवाओं में गुस्सा कर दिया है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को लिखे गए इस पत्र में सुब्रमण्यम स्वामी ने बर्खास्त किए गए कर्मचारियों को वापस लेने का अनुरोध किया है आपको बता दें कि सत्ता में बैठे रसूकदारों में अपने करीबीयों को विधानसभा बैकडोर से 228 लोगों की नौकरी दी थी. विधानसभा भर्ती में की नियुक्तियों की जाँच हाईकोर्ट के सिटिंग जज की निगरानी में कराने और नौकरी देने वाले मंत्री-अफसरों से सरकारी धन की रिकवरी की माँगो को लेकर कोर्ट में याचिका दायर है.
सरकार ने नहीं दिया जवाब
देहरादून निवासी सामाजिक कार्यकर्ता अभिनव थापर की जनहित याचिका पर उच्च न्यायालय नैनीताल ने गंभीर संज्ञान लेते हुए सरकार को 8 हफ्ते में जवाबतलब कर बड़ी कार्यवाही की है, लेकिन 10 हफ्ते बीत जाने के बाद भी सरकार ने अभी तक न्यायालय को कोई जवाब नहीं दिया है.
स्वामी का पत्र
किन्तु कल भाजपा के पूर्व सांसद, पूर्व कानून मंत्री व सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ सुब्रमण्यम स्वामी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखकर व अपने सोशल एकाऊंट से ट्वीट कर विधानसभा से निलंबित 228 कर्मचारियों के पुनः बहाली हेतु आग्रह किया.
सीएम के रिश्तेदार भी शामिल
आपको बता दें कि इन बर्खास्त 228 कर्मचारियों में से है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की रिश्तेदार एकांकी धामी सहित 72 लोगों को मुख्यमंत्री धामी द्वारा अपने सर्वोच्च विशेषाधिकार का प्रयोग करते हुए 2022 में नियुक्ति प्रदान की गई थी, जिसमें तत्कालीन स्पीकर प्रेमचंद अग्रवाल , भाजपा संगठन मंत्री अजय कुमार आदि के रिश्तेदारों को भी नियुक्ति प्रदान की गयी है.
मांग पत्र वापस ले सुब्रमण्यम स्वामी
याचिकाकर्ता अभिनव थापर ने बताया कि सुब्रमण्यम स्वामी से आग्रह है कि विधानसभा भर्ती घोटाले पर जनहित याचिका के निर्णय आने तक अपना माँग-पत्र वापिस लें. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड का युवा सिर्फ पारदर्शी परिक्षा व्यवस्था पेपर लीक में संलिप्त सभी दोषियों को सजा दिलाने हेतु CBI जाँच की माँग कर रहे है. थापर ने कहा कि यह राज्य के युवाओं और जनता के साथ धोखा है, इसलिये यह सरकारों द्वारा किया गया बड़ा भ्रष्टाचार है. किन्तु धामी सरकार युवाओं पर लाठीचार्ज और दोषियों पर कोई कार्यवाही करती दिख नही रही है.