उत्तरकाशी- भगवान परशुराम को अत्यधिक क्रोध करने वाले देवताओं में शुमार किया जाता है. कहा जाता है कि उनकी इसी क्रोध के चलते उन्होंने 21 बार क्षत्रिय को इस धरती से समाप्त कर दिया था. आज हम आपको उत्तराखंड के एकमात्र उस परशुराम महादेव मंदिर (Parshuram Mahadev Temple) के बारे में बताते हैं जहां भगवान परशुराम के क्रोध पर अंकुश लगा था. हम बात कर रहे हैं उत्तरकाशी जिले के बाराहाट में स्थित प्राचीन परशुराम मंदिर की. यहां हर साल अक्षय तृतीया के दिन मंदिर में परशुराम जयंती मनाई जाती है, जिसमें शिरकत करने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं.
21 बार क्षत्रियों का सर्वनाश करने वाले देवता
हिंदू धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भगवान परशुराम विष्णु के छठे अवतार माने जाते हैं. मान्यता है कि कार्तिवीर्य के पुत्र ने जमदग्नि ऋषि का वध कर दिया था. उस समय परशुराम आश्रम में मौजूद नहीं थे. इस हत्या से परशुराम अत्यधिक क्रोधित हो गए और उन्होंने पृथ्वी को क्षत्रिय विहीन करने का प्रण लिया. कहा जाता है कि अपने वचन के अनुसार उन्होंने धरती से 21 बार क्षत्रियों का नामोनिशान मिटा दिया था. परशुराम को भगवान शंकर से दिव्य अस्त्र प्राप्त हुए थे. माना जाता है कि महाभारत काल में भीष्म और कर्ण भी परशुराम की ही शिष्य थे और उन्होंने उन्हीं से धनुर्विद्या सीखी थी.
धार्मिक मान्यता
धार्मिक मान्यताएं हैं कि अपने क्रोध के लिए जाने जाने वाले भगवान परशुराम ने इस गुस्से पर काबू करने के लिए उत्तरकाशी में भगवान विश्वनाथ की तपस्या की थी. कहा जाता है कि कठोर तप के बाद परशुराम का व्यवहार बहुत ही सौम्य में हो गया था यही वजह है कि उत्तरकाशी को सौम्य काशी के नाम से भी जाना जाता है. भगवान परशुराम की तपस्थली बाराहाट में परशुराम का प्राचीन मंदिर स्थापित है, कहा जाता है कि इसी स्थान पर भगवान परशुराम ने आशुतोष की तपस्या की थी. अक्षय तृतीया के दिन इस मंदिर में परशुराम जयंती बड़े ही धूमधाम से मनाई जाती है, जिसमें देश के कोने कोने से श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं.