दरकते जोशीमठ को बचाने के लिए अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हर संभव मदद का आश्वासन दिया है। आज उन्होंने टेलीफोन पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से बातचीत कर जोशीमठ के हालात का जायजा लिया। वहीं खबर मिल रही है कि हिंदू मठों में से एक शंकराचार्य मठ में भी पिछले 15 दिनों में कई जगहों पर दीवारों और छतों में दरारें आ गई हैं जिसकी वजह से मठ में लोग डरे हुए हैं। इसके अलावा यह भी पता लगा है कि इस खतरे के प्रति क्षेत्र के निवासियों ने सरकार को तीन बार खत लिखकर सचेत किया था लेकिन सरकार ने उसपर कोई ध्यान नहीं दिया।
स्वामी विश्वप्रियानंद ने कहा- यह विकास की आपदा का नतीजा है
शंकराचार्य मठ के प्रमुख स्वामी विश्वप्रियानंद ने जोशीमठ में भू धंसाव के बारे में कहा कि यह विकास की आपदा का नतीजा है जो अब विनाश में बदल रहा है. NTPC की परियोजनाओं ने जोशीमठ को बुरी तरह प्रभावित किया है। उन्होंने कहा कि 15 दिनों पहले कोई दरार नहीं थी लेकिन अब मठ में दरारें लगातार बढ़ रही हैं। जोशीमठ के निवासी भी पनबिजली परियोजनाओं और खोदी गयी सुरंगों को इस आपदा की वजह बता रहे हैं.
पीएमओ करेगा उच्च स्तरीय बैठक
प्रधानमंत्री कार्यालय जोशीमठ में स्थिति का जायजा लेने के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक आयोजित करेगा, इस बैठक में पीएम के प्रधान सचिव पीके मिश्रा, कैबिनेट सचिव, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के अधिकारी हिस्सा लेंगे। वहीँ राज्य के मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि जोशीमठ की स्थिति का विश्लेषण किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने बताया कि हम प्रधानमंत्री कार्यालय के लगातार टच में हैं। प्रधानमंत्री जी के साथ विस्तार में बात भी हुई है। मुख्यमंत्री धामी ने बताया कि विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों की टीम अध्ययन पर जुट गयी है. पूरे क्षेत्र में निर्माण कार्यों पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है. अब विशेषज्ञों की रिपोर्ट के बाद ही इसपर आगे बढ़ने के बारे में निर्णय लिया जाएगा.