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जानिए आखिर क्यों रखा जाता है योगिनी एकादशी व्रत

धर्मजानिए आखिर क्यों रखा जाता है योगिनी एकादशी व्रत

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अगर आप भगवान विष्णु की पूजा करते है तो आपको ये भी पता होगा की हर महीने पड़ने वाली एकादशी को भगवान का दिन माना जाता है कहा जाता है इस दिन को भी भक्त भगवान की अच्छे मन से पूजा करता है उससे भगवान बहुत खुश हो जाते है , लेकिन क्या आप जानते है एक ऐसी एकादशी के बारे में जो सबसे ज्यादा महत्‍वपूर्ण है अगर नहीं तो चलिए जानते है , योगिनी एकादशी का व्रत आषाढ़ मास के कृष्‍ण पक्ष की एकादशी को रखा जाता है। इस व्रत की अपनी आप में काफी महिमा है और ये व्रत काफी महत्‍वपूर्ण भी माना जाता है। कहा ऐसा भी जाता है जो इस व्रत को करता है उसको सीधा मोक्ष प्राप्त होता है और उसके द्वारा किये गए सारे पापों का अंत भी हो जाता है। मान्‍यता तो ये भी है कि अगर आप ये व्रत‍ रखते है तो अगर आपको किसी ने कोई शाप किया है तो उसका प्रभाव भी ख़त्म हो जाता है। आपको बता दे इस साल योगिनी एकादशी का व्रत 14 जून को पड़ रहा है । तो चलिए जाते है इस व्रत की महत्‍व और मान्‍यताएं और पूजाविधि के बारे में

क्या है योगिनी एकादशी का महत्व

योगिनी एकादशी का व्रत मुख्य तौर पर भगवान विष्‍णु को प्रसन्‍न करने के लिए किया जाता है , ऐसा माना जाता है जो भी ये व्रत करता है उसके लिए ये बहुत लाभकारी और शुभफलदायी होता है । इस व्रत को करने से आपके जीवन में खुशहाली और समृद्धि आती है। माना ये भी जाता है 8 हजार ब्राह्मणों को भोजन करवाना और इस व्रत को करने पर एक सामान्य फल मिलता है। अगर आप इस व्रत को कर लेते है तो आपके मोक्ष के द्वार खुल जाते है।

क्या है व्रत की पूजाविधि

योगिनी एकादशी का ये व्रत 14 जून को रखा जाएगा। सबसे पहले सुबह जल्दी उठे स्‍नान करे साथ ही पीले वस्‍त्र धारण करें। एक लकड़ी की चौकी के उस पर एक साफ़ पिले रंग का कपड़ा बिछा ले , जब ये सब काम हो जाये तो उस पर भगवान विष्‍णु और माता लक्ष्‍मी की मूर्ति स्‍थापित कर ले । उसके बाद उत्‍तर-पूर्व दिशा में गाय के घी का दीपक जलाकर रख दे । फिर भगवान को हल्‍दी तिलक लगाएं और तुलसी दल चढ़ाएं आपको बता दे की भगवान विष्णु की कोई भी पूजा बिना तुसली के डल के बिना पूरी नहीं होती है। ये सब करने के बाद भगवान को मीठे का भोग लगाए , ये ज़रूर ध्यान रखे की मीठा पीले रंग का ही होना चाहिए। फिर जब ये सब करले तो योगिनी एकादशी व्रत की कथा पढ़ें और उसके बाद आरती कर पूजा करें।

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