अक्सर लोग यह समझते हैं कि एक UAN से एक ही EPF अकाउंट होगा, हालाँकि ऐसा नहीं है. जब आप कम्पनियाँ बदलते हैं तो आपके अलग-अलग EPF अकाउंट भी खुलते हैं जिन्हें EPFO की वेबसाइट पर आपको मर्ज करना पड़ता है. अकाउंट मर्ज न करने से आपके पैसे आपको दिखाई नहीं देते जिसकी वजह से टैक्स सेविंग में भी आपको असुविधा हो सकती है. इसके अलावा इससे पांच साल की निकासी पर टैक्स भी लग सकता है. बता दें कि जब प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारी नौकरी अपनी बदलते हैं तो उन्हें उनका EPF अकाउंट खुलता है लेकिन UAN नंबर पुराना ही होता है.
पहले तो ये समझिये कि हर कंपनी का ड्यूरेशन अलग-अलग होता है इसलिए जब आप पीएफ अकाउंट से अपना पैसा निकालते हैं, तो आपको हर कंपनी के ड्यूरेशन के हिसाब से TDS देना पड़ता है. अकाउंट मर्ज करवाने से ये होता है कि आपका एक्सपीरियंस एक साथ काउंट होता है. मान लीजिये आपने तीन-कंपनियों में 3 -3 साल काम किया है, अब अगर आप इन अकाउंट्स को मर्ज करवा लेते हैं तो आपका कुल एक्सपीरियंस 9 साल का होगा. अगर अकाउंट मर्ज नहीं कराया गया है तो एक्सपीरियंस अलग-अलग काउंट होंगे.
पीएफ अकाउंट को ऑनलाइन मर्ज सबसे पहले आपको सदस्य सेवा पोर्टल https://unifiedportal mem.epfindia.gov.in पर जाना होगा.इसके बाद ऑनलाइन सर्विसेज टैब के तहत वन मेंबर वन ईपीएफ अकाउंट को चुनना होगा। अब आपको स्क्रीन पर पर्सनल डिटेल दिखेगी. पुराने या पिछले पीएफ अकाउंट को ट्रांसफर करने के लिए आपको इसे पिछले नियोक्ता या आपके वर्तमान नियोक्ता द्वारा सत्यापित करवाना होगा. इसके लिए पिछला पीएफ अकाउंट नंबर या पिछला यूएएन नंबर दर्ज कीजिये . गेट डिटेल्स पर जाकर क्लिक करें. अब स्क्रीन पर आपके पिछले ईपीएफ अकाउंट से संबंधित डिटेल नज़र आएगी. इसके बाद गेट ओटीपी पर आपको क्लिक करना होगा. वन टाइम पासवर्ड आपको भेजा जाएगा जिसे दर्ज करने के बाद आपको सबमिट पर क्लिक करना होगा. इसके बाद ईपीएफ अकाउंट के मर्ज के लिए आपका अनुरोध सफलतापूर्वक सबमिट हो जाएगा. अब आपके वर्तमान नियोक्ता को सबमिट किए गए विलय अनुरोध को स्वीकृत करने की आवश्यकता होगी. एक बार जब आपका नियोक्ता इसे मंजूरी दे देगा तो ईपीएफओ अधिकारी आपके पिछले ईपीएफ अकाउंट को प्रोसेस और मर्ज कर देगा.