बैंक लॉकर आपकी कीमती चीजों के लिए एक सुरक्षित माहौल देता है। तमाम बैंक कस्टमर्स को लॉकर सुविधा मुहैया कराते हैं और बदले में निर्धारित शुल्क लेते हैं। बैंकों में हाल के समय में नियमों में कुछ बदलाव भी हुए हैं। ऐसे में आपको भी इनके बारे में जानना आपके हित में है।
बैंक लॉकर के लिए सबसे पहले केवाइसी प्रक्रिया को पूरा करना करना होता है। केवाईसी होने का फायदा ये होता है कि लॉकर को रेंट पर लेने वाले ग्राहक की डिटेल दर्ज होती है और जब वह लॉकर एक्सेस करता है तो इसकी सूचना मिलती है। बैंक लेकर अपनी ज़रूरतों के हिसाब से ही चुनना चाहिए।
अब बैंकों ने लॉकर के लिए भी एक नॉमिनी का नाम जरूरी कर दिया है जो कस्टमर की गैरमौजूदगी में लॉकर को एक्सेस कर सकता है। बैंक लॉकर अप्लाई करने से पहले लॉकर के लिए पेमेंट फ्रीक्वेंसी और रेंटल चार्ज को अच्छी तरह जरूर समझ लें। बैंक की तरफ से लॉकर के रेंट और टाइमली पेमेंट की पॉलिसी को भी समझना ज़रूरी होता है.
बैंक लॉकर के लिए आपको बैंक के साथ एक एग्रीमेंट साइन करना होता है। इस एग्रीमेंट की शर्तों को आपको अच्छी तरह समझना चाहिए। लॉकर की वैलेडिटी एग्रीमेंट , एक्सेस की प्रक्रिया, एक्सेस टाइम और पहचान को समझना भी ज़रूरी है.
बैंक आपके लॉकर में रखे सामानों की सुरक्षा के लिए सुरक्षा मानक अपनाता है, इन सुरक्षा मानकों में बायोमीट्रिक एक्सेस, सीसीटीवी कैमरा और लॉग रिकॉर्ड्स वगैरह शामिल हैं। किसी भी अनऑथोराइज्ड एक्सेस या संदिग्ध गतिविधियों को लेकर आपको अलर्ट रहना चाहिए। अगर आपको कभी कुछ ऐसा लगे तो बैंक को तुरंत इसकी सूचना दें।
लॉकर की सेफ्टी के साथ-साथ लॉकर में रखे सामानों के लिए ज़्यादातर बैंक इंश्योरेंस भी ऑफर करते हैं। यह इंश्योरेंस चोरी या आग की स्थिति में लॉकर में रखे सामानों की रक्षा करता है। इसलिए इंश्योरेंस कवरेज को अच्छी तरह समझ लेना चाहिए।