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जानिए भारत में कैसे हुई योग की शुरुआत

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21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाएगा। योग मानव शरीर की एक ऐसी आवश्यकता है जिसे पूरा करने के हजारों फायदे हैं। योग करके कोई भी स्वस्थ रह सकता है। इस वर्ष के योग दिवस की थीम “वसुधैव कुटुम्बकम के लिए योग” है। यह “एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य” के रूप में विषय का भी प्रतिनिधित्व करता है, जो निरंतर व्यायाम के साथ किसी भी तरह के भेदभाव को न करते हुए हर व्यक्ति के स्वस्थ होने पर जोर देता है।

संस्कृत में “वसुधैव कुटुम्बकम” का वाक्यांश

“वसुधैव कुटुम्बकम” एक संस्कृत वाक्यांश है जिसका अनुवाद “दुनिया एक परिवार है” या “पूरी दुनिया एक परिवार है” के रूप में किया जा सकता है। यह प्राचीन भारतीय ग्रंथों से लिया गया है जिन्हें महा उपनिषद के रूप में जाना जाता है। यह सिद्धांत इस विचार को दर्शाता है कि सभी मनुष्य आपस में जुड़े हुए हैं और उन्हें राष्ट्रीयता, धर्म, जाति या किसी अन्य प्रकार के विभाजन की सीमाओं को पार करते हुए एक दूसरे के साथ सद्भाव और सहयोग से रहना चाहिए।

इस बार अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का 9वां संस्करण है

इस साल यानी 21 जून 2023 को योग दिवस का 9वां संस्करण है। इस बार न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय से योग के वैश्विक महोत्सव का नेतृत्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भारत में जबलपुर से समारोह का नेतृत्व करेंगे। साथ ही केंद्रीय आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल नई दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे।

जानिए क्या है अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का इतिहास?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 69वें सत्र में अपने संबोधन के दौरान योग दिवस के विचार का प्रस्ताव रखा था। 11 दिसंबर 2014 को, संयुक्त राष्ट्र के सभी 193 सदस्य देशों ने सर्वसम्मति से 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने पर सहमति व्यक्त की। जिसका उद्घाटन समारोह 21 जून 2015 को हुआ था।

भारत में योग दिवस का इतिहास 5000 साल पुराना है।

भारत में योग का इतिहास बहुत पुराना है। शारीरिक को फिट रखने और मानसिक शांति और आध्यात्मिकता के लिए प्राचीन काल से ही लोग योग करते आ रहे हैं। कहा जाता है कि अगस्त्य नाम के सप्तर्षि ने पूरे भारतीय उपमहाद्वीप का भ्रमण किया और योगिक तरीके से जीवन जीने की संस्कृति का निर्माण किया। पूरे विश्व में योग की उत्पत्ति सर्वप्रथम भारत में हुई, उसके बाद यह विश्व के अन्य देशों में लोकप्रिय हुआ। जब भी योग की बात होती है तो पतंजलि का नाम सबसे पहले लिया जाता है। यहा तक ये भी कहा जाता है कि पतंजलि ही मात्र एक ऐसी संस्था है ,जिन्होंने योग को एक नई पहचान दी है

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