बेबस बहन की खाकी से अपील
ख़ालिद इकबाल
उत्तर प्रदेश में कानपुर के बर्रा में संजीत यादव की हत्या की सूचना के बाद पूरा परिवार गम में डूबा है। वहीं, संजीत के घर पर आलाधिकारियों के साथ नेताओं का जमावड़ा लगा है। एक तरफ जहां बेटे को खो चुके पिता चमन सिंह लोगों के सवालों के जवाब दे रहे हैं तो दूसरी तरफ बेसुध हो चुकीं मां बार-बार चिल्ला कर अपने बेटे को आवाज दे रही हैं। यह सब देखकर आसपास खड़े लोगों की आंखें भी नम हो जा रही हैं।
संजीत की हत्या के बाद उसकी बहन रुचि यादव ने पुलिस को सवालों के कठघरे में खड़ा किया। रुचि कहती हैं कि जिंदा तो नहीं दे सकती हो मेरे भाई को तो कम से कम मुर्दा ही दिलवा दो। कम से कम आखिरी बार उसकी कलाई पर राखी तो बांध लूं। उसके इन शब्दों का जवाब वहां पर खड़े किसी के पास नहीं है, लेकिन यह शब्द इतने कठोर हैं कि लोगों को भावुक करने के लिए मजबूर कर देते हैं।संजीत को खो चुके परिवार को पुलिस से कोई उम्मीद नहीं बची है। 24 घंटे से ज्यादा समय हो चुका है पर पुलिस को अब तक संजीत का शव नहीं मिला है। इसे लेकर परिजन में पुलिस के खिलाफ गुस्सा साफ तौर पर देखा जा सकता है।
संजीत यादव की बहन रुचि यादव का कहना है कि मुझे पुलिस से कोई उम्मीद नहीं बची है लेकिन सिर्फ इतना कहना चाहते हैं कि जिंदा तो मेरे भाई को नहीं लौटा सके, कम से कम उसके शव को तलाश दो। रक्षाबंधन आ रहा है आखिरी बार अपने भाई की कलाई पर राखी तो बांध दूं। क्योंकि अब कभी मौका नहीं मिलेगा अपने भाई की कलाई पर राखी बांधने का।रुचि कहती हैं कि पुलिस से क्या उम्मीद करूं- 31 दिन तक दर-दर भटकती रही लेकिन पुलिस ढूंढने की वजह हमारे परिवार पर ही सवाल खड़े करती रही। हमारे भाई के चरित्र को लेकर बातें करते रहे। जब कुछ नहीं मिला तो मुझ पर सवाल खड़े करने लगे और कहने लगे कि तुम्हारी बेटी के चक्कर में बेटे को अगवा किया गया है।
क्या-क्या बताऊं आपको इन 31 दिनों में क्या-क्या नहीं सुना है पुलिस वालों की जुबान से। कभी धमकाते थे कि ज्यादा मत बोलो और कभी कहते थे कि मीडिया तुम्हारे भाई को ढूंढने नहीं जाएगी। इसलिए ज्यादा मीडिया के पास मत जाओ। जितना ज्यादा जाओगी, तुम्हारे भाई का जीवन उतना ही खतरे में पड़ जाएगा। कई बार तो हम लोग इतना डर गए कि पुलिसवाले जैसा कहते, वैसा ही हम मीडिया से बोलते थे, लेकिन जब लगा कि पुलिसवाले खुद को बचाने के लिए हमसे झूठ बोल रहे हैं। तब मैंने खुलकर मीडिया के सामने बोलना शुरू किया।रुचि ने कहा कि मेरा भाई किसी का गलत नहीं करता था। वह तो पूरे मोहल्ले में लोगों को समझाता था। हंसी-खुशी जिओ, जिंदगी का कोई भरोसा नहीं- लड़ने से क्या फायदा, गले मिलकर रहो। अब आप ही बताओ मेरा भाई लड़ाई-झगड़े से कितना दूर रहता था। मोहल्ले में जो लड़ते थे उन्हें समझाता था लेकिन मेरे भाई के साथ ऐसा क्यों हुआ।
उसने किसी का क्या बिगाड़ा था। बात करते-करते रुचि इतनी भावुक हो गई थी कि ज्यादा कुछ बोल नहीं पा रही थी।रुचि से जब पूछा गया कि सरकार से क्या कहना चाहती हैं आप उनका कहना था कि अब मेरी सरकार से कोई बड़ी मांग नहीं है। सिर्फ मैं आपके जरिए सरकार से इतना कहना चाहती हूं कि मेरे निर्दोष भाई की हत्या कर दी गई है जिस तरह उसे तड़पा-तड़पा कर मारा गया है उसी तरह उसके हत्यारोपियों को भी तड़पा- तड़पा कर मेरे सामने मारा जाए और फांसी भी मेरे सामने दी जाए तब मेरे पूरे परिवार को सुकून मिलेगा और मेरे भाई की आत्मा को शांति मिलेगी। रुचि ने कहा कि जितने पुलिसकर्मी दोषी हैं उन्हें भी नहीं बख्शा जाए। क्योंकि अगर उन पर कड़ी कार्रवाई नहीं हुई तो यह जहां पर भी रहेंगे, वहां फिर किसी के घर का चिराग बुझ जाएगा।
यह था मामला
कानपुर के बर्रा इलाके में एक महीने पहले लैब टेक्नीशियन संजीत यादव का दोस्तों ने अपहरण कर लिया था। इसके बाद हत्या करके उसकी लाश पांडू नदी में फेंक दी थी। इस मामले में शुक्रवार को एक आईपीएस समेत 11 पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया। गुरुवार को इस मामले में कई आरोपी गिरफ्तार किए गए। संजीत के परिवार ने आरोप लगाया कि उन्होंने पुलिस की जानकारी में अपहरणकर्ताओं को 30 लाख की फिरौती दी, फिर भी बेटा नहीं बचा।