उत्तर प्रदेश के झांसी में महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के एनआईसीयू में बीती रात लगी भीषण आग में 10 बच्चों की मौत हो गई और 16 बच्चे झुलस गए। घायल बच्चों का इलाज चल रहा है। एक ही अस्पताल में 10 मासूम बच्चों की मौत से मातम पसर गया है। सवाल उठ रहा है कि इस मौत का जिम्मेदार कौन है? अस्पताल में आग कैसे लगी? ऐसे कई सवाल हैं, जिनके जवाब जांच में ही मिलेंगे।
एनआईसीयू के अंदर दो वार्ड थे। अंदर वाले वार्ड में गंभीर रूप से बीमार बच्चे मौजूद थे, जहां कमरे में ऑक्सीजन की अधिकता होने के कारण आग तेजी से फैली और 10 बच्चों को बचाया नहीं जा सका। जबकि बाहर वाले एनआईसीयू में मौजूद बच्चों को बाहर निकाल लिया गया। अस्पताल में अफरा-तफरी का माहौल रहा। परिजनों के मुताबिक शुरुआत में उन्होंने वार्ड से धुआं उठते देखा, लेकिन कुछ ही देर में आग भड़क गई। कुछ सोचने-समझने का मौका ही नहीं मिला।
शुरुआत में जो बातें सामने आई हैं, वो चौंकाने वाली हैं। झांसी मेडिकल कॉलेज, जहां आग लगने से 10 मासूम बच्चों की जान चली गई थी, का भी इस साल अग्नि सुरक्षा के लिए ऑडिट किया गया था। यह जानकारी खुद प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने दी।
क्या आस-पास कोई अग्निशामक यंत्र एनआईसीयू के पास था? अगर था तो उसका इस्तेमाल क्यों नहीं किया गया? क्या ऐसी स्थिति से निपटने के लिए अस्पताल में कोई फायर फाइटर मौजूद था? जानकारी के मुताबिक, मेडिकल कॉलेज का अग्नि सुरक्षा ऑडिट फरवरी में भी हुआ था और जून में मॉक ड्रिल भी हुई थी, फिर जब यह स्थिति बनी तो आग पर तुरंत काबू क्यों नहीं पाया गया? फायर ब्रिगेड की टीम के पहुंचने में देरी क्यों हुई? मेडिकल कॉलेज में आग लगने के बाद शुरुआत में सिर्फ दो फायर टेंडर ही क्यों भेजे गए? अस्पताल में लगा सेफ्टी अलार्म क्यों नहीं बजा?