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CWC: जगमोहन डालमिया ने BCCI को नोट छापने वाली मशीन में बदला, ईडन गार्डन को बनाया क्रिकेट का मक्का

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IND vs AUS World Cup Final 2023: आज भारत क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड दुनिया के सबसे अमीर बोर्ड है। बीसीसीआई को नोट छापने वाली मशीन में बदलने का श्रेय अगर किसी को जाता है तो वो है जगमोहन डालमिया। पूर्व बीसीसीआई अध्यक्ष जगमोहन डालमिया ने 90 के दशक में भारतीय क्रिकेट को नोट छापने वाली मशीन में तब्दील कर दिया। इससे भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड बोर्ड और खिलाड़ियों पर नोटों की जमकर बरसात हुई। आज बीसीसीआई 2.25 अरब डाॅलर यानी 1874 करोड़ रुपए की नेट वर्थ के साथ दुनिया का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड है।
आईसीसी क्रिकेट विश्व कप 2023 के फाइनल में रविवार को भारत का मुकाबला आस्ट्रेलिया से होगा। भारतीय क्रिकेट प्रेमी चाहते हैं कि 1983 और 2011 के बाद भारत के इस बार फिर से विश्व कप में चैंपियन बने।

भारतीय क्रिकेट बदलाव की कहानी शुरू होती है जगमोहन डालमिया से

बात शुरू होती है 90 के दशक से जब भारत में क्रिकेट नोट छापने वाली मशीन में बदला और क्रिकेट बोर्ड और खिलाड़ियों पर नोटों की बरसात होने लगी। जगमोहन डालमिया उस शख्स का नाम है। जिसने भारतीय क्रिकेट को बदहाली के दौर से निकालकर आर्थिक बुलंदियों पर पहुंचाया। यह कोलकाता के बिजनेसमैन का दिमाग और मेहनत ही थी। जिसके बल पर बीसीसीआई आर्थिक रूप से अपने पैरों पर खड़ा हुआ बल्कि दुनिया का सबसे धनी क्रिकेट बोर्ड बन गया।

क्रिकेट किंग डालमिया का करिश्मा

क्रिकेट किंग डालमिया का ये करिश्मा था। जिसने एक समय विश्व क्रिकेट का मक्का कहे जाने वाले लंदन के लॉर्ड्स की जगह कोलकाता के ईडन गार्डन को क्रिकेट का मक्का बना दिया। डालमिया ने क्रिकेट में आईसीसी पर इंग्लैड और ऑस्ट्रेलिया के एकाधिकार को तोड़ दिया। जगमोहन डालमिया का मानना था, क्रिकेट प्रशासनिक स्तर पर लोकतांत्रिक होना चाहिए। उनसे पहले एशिया के किसी व्यक्ति का आईसीसी का अध्यक्ष बनना एक सपने जैसा था।

90 के दशक में पलट दी क्रिकेट की किस्मत

भारतीय क्रिकेट को डालमिया का सबसे बड़ा तोहफा था कि उन्होंने 90 के दशक के शुरुआती वर्षों में वर्ल्ड टेल के साथ टीवी प्रसारण को लेकर बड़े करार किए। डालमिया का यह फैसला बीसीसीआई को साल दर साल आर्थिक रूप से मजबूत बनाता गया। माहिर रणनीतिकार और बीसीसीआई के नंबर गेम के खिलाड़ी डालमिया क्रिकेट प्रशसक के रूप में कभी चुनाव नहीं हारे। डालमिया के योगदान से भारत ने 1987 में रिलायंस विश्व कप, 1996 में विल्स वर्ल्ड कप की मेजबानी हासिल करने में सफलता पाई और बीसीसीआई को आर्थिक रूप से मजबूत किया।

क्रिकेट में पैसा लाने वाले डालमिया

डालमिया बीसीसीआई के पहले ऐसे अधिकारी रहे जो क्रिकेट में पैसा लाए। डालमिया ने बिंद्रा के साथ मिलकर भारतीय बोर्ड की छवि को पूरी तरह से बदल दिया। हालांकि, आगे चलकर बिंद्रा के साथ उनका विवाद हुआ। उनके समय में विदेशी टेलीविजन चैनल भारत में आए और क्रिकेट प्रसारण के आधिकार महंगी कीमतों पर बिके। अपने बाजारू कौशल के लिए जाने जाने वाले व्यापारी डालमिया ने 1987 और 1996 के क्रिकेट विश्व कप को उपमहाद्वीप में लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

वर्ष 1979 में बीसीसीआई से जुड़ने के बाद से डालमिया ने इसे दुनिया के सबसे धनी क्रिकेट बोर्ड के रूप में उभरने में अहम भूमिका निभानी शुरू कर दी थी। आईसीसी के पहले एशियाई प्रमुख के रूप में उनके कार्यकाल ने शक्ति संतुलन के मामले में पुरानी महाशक्तियों, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया को पीछे किया और एशिया, विशेष रूप से भारत का दबदबा विश्व क्रिकेट में बनाया। डालमिया के विरोधी भी इस बात को स्वीकार करते हैं कि भारतीय क्रिकेट में पैसा लाने के उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है।

ICC में ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड का वर्चस्व तोड़ा

जग्गू दा के नाम से मशहूर डालमिया ने 1979 में BCCI में प्रवेश किया। उस समय बीसीसीआई आज की तरह मजबूत नहीं थी। डालमिया 1983 में बीसीसीआई कोषाध्यक्ष बने। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद ICC पर ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के वर्चस्व को तोड़ने और एशिया में प्रतिष्ठित क्रिकेट विश्व कप की मेजबानी लाने के लिए IS बिंद्रा के साथ हाथ मिलाया। पहले 1987 में और बाद में 1996 में एशिया में क्रिकेट विश्व कप का आयोजन कराया।

बिंद्रा-डालमिया जोड़ी ने उठाए BCCI में बदलाव के कदम

1992 में जब बिंद्रा बीसीसीआई अध्यक्ष थे तब डालमिया को बोर्ड का सचिव चुना गया। दोनों ने मिलकर ऐसे कदम उठाए जिन्होंने भारतीय क्रिकेट को हमेशा के लिए बदल दिया। उसके बाद आज ये दुनिया का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड बन गया।

क्रिकेट प्रसारण का अधिकार बेचने से नोटों की बारिश

1993 से पहले भारत के दूरदर्शन (डीडी) का क्रिकेट मैचों के Live Broadcast पर एकाधिकार था। उस दौरान, BCCI को हर मैच के प्रसारण के पहले Durdarshan को प्रति मैच 5 लाख रुपए का भुगतान करना पड़ता था। डालमिया और बिंद्रा की जोड़ी ने इस स्थिति को बदला और आगे कदम बढ़ाया। दोनों ने उस साल india-england series से पहले 40,000 डॉलर यानी लगभग 18 लाख रुपए में टेलीविजन अधिकार ट्रांसवर्ल्ड इंटरनेशनल IWI को बेचकर डीडी के एकाधिकार को तोड़ दिया। DD को दूरदर्शन पर मैच दिखाने के लिए टीडब्ल्यूआई से 1 मिलियन डॉलर में प्रसारण अधिकार खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ा। बिंद्रा और डालमिया के इस फैसले से बीसीसीआई ने 600,000 डॉलर की आमदनी हुई। यही से बीसीसीआई के अर्थतंत्र की शुरुआत हुई।

CAB और सूचना व प्रसारण मंत्रालय के बीच एक कानूनी विवाद

1993 में इंग्लैंड सीरीज से पहले, इतिहास में पहली बार बंगाल क्रिकेट संघ (सीएबी) और बीसीसीआई ने हीरो कप के मैचों के प्रसारण के लिए निजी प्रसारक को जोड़ा। इस प्रतियोगिता का अयोजन नवंबर 1993 में डालमिया के नेतृत्व वाले सीएबी की ओर से अपनी डायमंड जुबली मनाने के लिए किया गया था।
उन्होंने प्रसारण अधिकार एक निजी चैनल को बेचने की कोशिश की। इसे बाद सीएबी और सूचना व प्रसारण मंत्रालय के बीच एक कानूनी विवाद हो गया। विवाद का अंजाम एक ऐसे एक ऐतिहासिक फैसले में परिणत हुआ जिसने भारत में Cricket के प्रसारण को हमेशा के लिए बदला। उस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि एयरवेव्स राज्य का एकाधिकार नहीं हो सकता। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बीसीसीआई के लिए मैचों का टेलीविजन अधिकार बेचने का मार्ग खुल गया।

मील का पत्थर साबित हुआ 1996 का विश्व कप

इसके बाद 1996 का विश्व कप आया। तब तक डालमिया ने बीसीसीआई के शीर्ष पदाधिकारियों के बीच स्थिति मजबूत कर ली थी। भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका की ओर से संयुक्त रूप से आयोजित ये विश्व कप, क्रिकेट और उससे जुड़े कारोबार मील का पत्थर साबित हुआ।
डालमिया ने 1996 के विश्व कप के दौरान पाकिस्तान इंडिया लंका कमीशन PILCOM के संयोजक का पदभार संभाला। उन्होंने क्रिकेट टूर्नामेंट के टेलीविजन प्रसारण अधिकार दिवंगत मार्क मास्करेनहास की अगुवाई वाली अमेरिका की कंपनी वर्ल्डटेल को बेचने में अहम भूमिका निभाई।

पहली बार एक करोड़ डॉलर में क्रिकेट के प्रसारण अधिकार डील

क्रिकेट टूर्नामेंट में पहली बार टेलीविजन प्रसारण के अधिकार की डील एक करोड़ डॉलर में हुई। जो चौंका देने वाली राशि थी। इसके अलावे आईटीसी लिमिटेड के स्वामित्व वाले तंबाकू व सिगरेट ब्रांड विल्स ने 1996 विश्व कप का टूर्नामेंट प्रायोजक बनने के लिए 1.2 करोड़ डॉलर दिया। 1996 विश्व कप की सफलता के बाद डालमिया की महत्वाकांक्षाएं वैश्विक स्तर पर पहुंच गईं। 1996 के बाद विश्व कप का आयोजन आईसीसी खुद करने लगा। 1997 में डालमिया को पहला आईसीसी अध्यक्ष चुना गया और 2000 में पद छोड़ने से पहले तीन साल तक इस पद पर बने रहे। आईसीसी अध्यक्ष के रूप में उन्होंने आईसीसी को चलाने के तरीके में बदलाव किया।

1999 विश्व कप के टीवी अधिकार 1.6 करोड़ डॉलर में बेचे

डालमिया के आईसीसी अध्यक्ष रहते 1999 विश्व कप के टीवी अधिकार 1.6 करोड़ डॉलर में बेचे गए। जून 2000 में, डालमिया ने आईसीसी के दो आयोजनों- आईसीसी विश्व कप और आईसीसी नॉकआउट चैंपियंस ट्रॉफी के लिए टेलीविजन अधिकार बेचने के एक महीने बाद ही आईसीसी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। मई 2000 में इन दोनों क्रिकेट टूर्नामेंट के मार्केटिंग राइट्स रूपर्ट मर्डोक के स्वामित्व वाले ग्लोबल क्रिकेट कॉर्पोरेशन (जीसीसी) को 55 करोड़ डॉलर की मोटी रकम में बेचे गए।

20 सितंबर 2015 को BCCI प्रमुख के पद पर रहते हुए डालमिया का निधन

आईसीसी अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद डालमिया कोलकाता के ईडन गार्डन्स लौट आए। जहां पर कैब प्रमुख चुने गए। 2001 में, बीसीसीआई में दो दशक बिताने के बाद, डालमिया को अपने पहले कार्यकाल के लिए बीसीसीआई अध्यक्ष चुना गया। डालमिया 2004 तक बीसीसीआई अध्यक्ष पद पर रहे। आगे चलकर डालमिया पर कई अनियमितताओं के आरोप लगे। डालमिया ने अपने ऊपर लगे आरोपों को अदालत में चुनौती दी। जहां से आखिरकार डालमिया को राहत मिली। डालमिया ने जून 2013 में कार्यकारी प्रशासक के तौर पर बीसीसीआई में वापसी की। 20 सितंबर 2015 को बीसीसीआई प्रमुख के पद पर रहते हुए डालमिया का निधन हो गया।

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