ईरान में हिजाब पर सरकार के रुख में पहली बार नरमी का संकेत मिला है. दो महीने से हिजाब के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शनों के बाद सरकार ने अब मोरेलिटी पुलिस की यूनिटों को भंग कर दिया है. अब नैतिकता पुलिस का देश की न्यायपालिका से कोई भी लेना देना नहीं है. बता दें की ईरान में नैतिकता पुलिस ( गश्त-ए इरशाद) का गठन 2006 में राष्ट्रपति महमूद अहमदी नेजाद के समय किया गया था, इसका मकसद देश में हिजाब और विनम्रता संस्कृति को फैलाना था.
विवादित कानून को ख़त्म करने पर हो रहा है विचार
नैतिकता पुलिस को भंग करने की घोषणा एक दिन बाद अटॉर्नी जनरल जफ़र मोंटाज़ेरी ने कहा कि “संसद और न्यायपालिका दोनों इस मुद्दे पर काम कर रहे हैं” कि क्या हिजाब कानून को बदलने की जरूरत है. इससे पहले यह खबर आई थी कि हिजाब के खिलाफ बढ़ते विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए अब सरकार ने सख्त हिजाब कानून पर विचार करने का फैसला किया है.
महसा अमिनी की हिरासत में मौत के बाद भड़की थी आग
बता दें ईरान में हिजाब विवाद तब भड़का था जब पिछले 13-14 सितंबर को महसा अमिनी की पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी. पुलिस ने अमिनी को हिजाब न पहनने के जुर्म में हिरासत में लिया गया था क्योंकि ईरान में महिलाओं के लिए हिजाब पहनना कानूनी रूप से ज़रूरी है. लेकिन महसा अमिनी की मौत ने ईरान की महिलाओं में बग़ावत की आग भर दी और पूरे देश में अमिनी की मौत पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए. महिलाओं के साथ सैकड़ों पुरुष भी सड़कों पर उतर आए और इस कानून को समाप्त करने की मांग करने लगे. देश भर में विरोध स्वरुप कई सेलिब्रिटीज महिलाओं ने अपने बाल भी काटकर अपना विरोध जताया।