पाकिस्तान में काफी उठापटक के बाद क्रिकेटर से नेता बने इमरान खान (Imran Khan) नियाज़ी की पीएम पद से विदाई हो ही गयी, उनकी सरकार के खिलाफ विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद पास हो गया जिसके साथ ही पाकिस्तान तहरीके इन्साफ पार्टी और इमरान खान पर एक ऐसा बदनुमा दाग़ लग गया जिसको नियाज़ी साहब कभी धो नहीं सकते। बतौर क्रिकेटर और कप्तान पाकिस्तान को बुलंदी तक पहुँचाने वाले एक राजनेता के तौर कुछ इस तरह से नाकाम हुए कि उनकी सारी नेकनामियों (उपलब्धियों) पर पानी फिर गया. इमरान खान नियाज़ी के माथे पर अविश्वास प्रस्ताव के ज़रिये सत्ता से बेदखल होने वाले पहले प्राइम मिनिस्टर बनने की ऐसी मुहर लग गयी जिसको कोई प्लास्टिक सर्जरी भी नहीं मिटा सकती क्योंकि यह मुहर सिर्फ शरीर पर नहीं बल्कि मन और मस्तिष्क पर भी लगी है.
वो कहते हैं कि “बड़े बेआबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले” लेकिन इमरान निकले नहीं बल्कि भागे हैं. इमरान खान ने अविश्वास प्रताव का सामना नहीं किया, उन्होंने रात के अँधेरे में मैदान छोड़ा है. हालाँकि अंतिम समय तक उनके बयान आखरी गेंद तक लड़ने के ही आये मगर जब आखरी ओवर आया तो पूरी टीम मैदान से भाग खड़ी हुई, एक जांबाज़ कप्तान से इस तरह की बुज़दिलाना हरकत की पाकिस्तान के बाशिंदों को भी उम्मीद नहीं थी.
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आखरी समय तक सरकार बचाने और अपने आपको प्रताड़ित दिखाने की उनकी हर कोशिश नाकाम रही, इस दौरान जितने भी राजनीतिक दांवपेच वह लगा सकते थे लगाए, मगर काम न आये. इस दौरान राष्ट्र की सुरक्षा का हथियार भी चलाया, अमेरिका पर पाकिस्तान की सत्ता पलट करवाने का आरोप भी लगाया, विपक्ष की विदेशी ताकतों से मिलीभगत का इलज़ाम भी लगाया, स्पीकर और डिप्टी स्पीकर से असंवैधानिक फैसले भी कराये मगर इमरान और उनकी टोली के हर मंसूबे पर पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने पानी फेर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के हर असंवैधानिक फैसलों को पलटकर अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान का आदेश जारी किया, इमरान सरकार फिर भी खुद को बचाने में जुटी रही लेकिन जब सुप्रीम कोर्ट ने मतदान न कराने की सूरत में इमरान खान, स्पीकर और डिप्टी स्पीकर को गिरफ्तार करने की बात कही तो सब भाग खड़े हुए. संसद में सिर्फ विपक्ष था जिसने 274 मेम्बरों के साथ अविश्वास प्रस्ताव पर वोट देकर इमरान सरकार को गिरा दिया।
इस दौरान सबसे मज़ेदार तो तब हुई जब पानी पी पीकर भारत को कोसने वाले इमरान खान ने अपने पड़ोसी के गुणगान करना शुरू कर दिए, उन्होंने भारत की शक्ति को न सिर्फ स्वीकार किया बल्कि भारत को एक तरह से विश्व की सुपर पॉवरों से भी बेहतर बताया। इमरान खान का यह कहना कि भारत किसी भी सुपर पावर से नहीं डरता और हिंदुस्तान को एक ज़िंदा क़ौम बताना एक डूबते हुए इंसान की छटपटाहट साबित कर रहा था. हालाँकि इमरान की नैया फिर भी डूब गयी लेकिन जाते जाते उनके मुंह से भारत के बारे सच्चाई निकल ही गयी, पाकिस्तान ने भारत की ताकत को तस्लीम कर ही लिया।
इमरान की सत्ता जाने के बाद पाकिस्तान में अब आगे क्या? अंदाज़ा इसी बात से लगाइये कि इमरान खान (Imran Khan) के विदेश जाने पर रोक लगा दी गयी है. जैसा कि हर सत्ता पलट के बाद पाकिस्तान की परंपरा है कि पिछली सरकार के सबसे बड़े नेता के खिलाफ बदले का एक दौर शुरू होता है, इमरान के साथ भी वही होगा जो जनरल परवेज़ मुशर्रफ के साथ हुआ, नवाज़ शरीफ के साथ हुआ. इमरान तो बोल रहे थे कि जनता ने मुझे यहाँ भेजा है और मैं अब जनता के बीच ही जाऊँगा लेकिन जिस तरह अविश्वास प्रस्ताव का सामना किये बिना वह रात के अंधकार में छिप गए उससे उनकी कथनी और करनी पर सवाल तो उठा ही दिया है. देखना है कि नई सरकार उन्हें जनता के बीच जाने देगी या जेल के अंदर।
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आखिर में मैं बस यही कहूंगा कि एक चैम्पियन की बड़ी शर्मनाक विदाई हुई है जिसके ज़िम्मेदार वह खुद हैं, अतिआत्मविश्वास उन्हें ले डूबा और वह अपनी पूरी पारी भी नहीं खेल सके और एक गेंदबाज़ के रूप अपनी खतरनाक इन डिपर से बल्लेबाज़ों के विकेट उड़ाने पर इमरान खान नियाज़ी खुद संयुक्त विपक्ष की खतरनाक इन डिपर पर बोल्ड हो गए. खैर पाकिस्तान में इस तरह के सियासी ड्रामे आम बात है, नई सरकार के लिए भी राहें दुश्वार हैं, उनके पास बहुमत से सिर्फ दो सीटें ही ज़यादा हैं और आधा दर्जन पार्टियां हैं, जिनमें मुख्यधारा की सियासत वाली पार्टियों के साथ कट्टरपंथी जमातें भी शामिल हैं. यह सरकार भी कितने दिन चलेगी समय ही बताएगा या फिर सेना क्योंकि उनके बिना पाकिस्तान में कुछ नहीं होता।