घर बनाने का सपना हर किसी का होता है, ज़िन्दगी पर इस सपने को पूरा करने के लिए इंसान लगा रहता है, कुछ लोगों का ये सपना पूरा होता है तो बहुत से लोगों का ये सपना सपना ही रह जाता है और इसकी वजह मकान की बढ़ती लागत जो बजट से इतना बाहर होती जा रही है कि कोशिश करने पर भी लोगों की हिम्मत टूट जाती है. हालाँकि आंकड़ों को अगर देखें तो पता यही चलता है कि रियल एस्टेट सेक्टर पिछले दो सालों से काफी तेज़ी पर है लेकिन ये भी सच है कि पिछले दो सालों घरों की कीमतों में काफी इज़ाफ़ा भी हुआ है.
रियल एस्टेट कंपनियों का शीर्ष निकाय CREDAI, रियल एस्टेट सलाहकार कोलियर्स और डेटा एनालिटिक फर्म लियासस फोरस ने एक संयुक्त रिपोर्ट जारी की है जिस्ले अनुसार देश के आठ प्रमुख शहरों में घरों की मांग बढ़ी है और यही बढ़ी हुई मांग घरों की कीमतों में औसतन 20 प्रतिशत इज़ाफ़े की वजह भी बनी है । मतलब जो फ्लैट दो साल पहले 80 लाख रुपये में मिल रहा था उसकी कीमत अब एक करोड़ हो चुकी है. रिपोर्ट के अनुसार बीते दो वर्षों में घरों की मांग बढ़ने से आठ शहरों में कीमतें बहुत तेजी से बढ़ी हैं। ये आठ शहर चेन्नई, दिल्ली-एनसीआर, अहमदाबाद, बेंगलुरु, हैदराबाद,मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन (एमएमआर), पुणे और कोलकाता हैं। रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली-एनसीआर, बेंगलुरु और कोलकाता में 2021 के स्तर की तुलना में 2023 में घरों की औसत कीमतों में सबसे ज़्यादा 30 प्रतिशत का औसत इज़ाफ़ा देखा गया है।
बाजार के जानकारों के मुताबिक कोरोना के बाद घरों की मांग तेजी से बढ़ी है। इसके अलावा नई आपूर्ति घटने से मार्केट में इन्वेंट्री की कमी आयी। वहीँ लागत भी तेजी से बढ़ी है, क्योंकि घर बनाने के मैटेरियल के दाम भी काफी बढ़ चुके हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक रियल एस्टेट की स्थिति उस समय सबसे अधिक अच्छी मानी जाती है जब बिक्री, सप्लाई और कीमतें बढ़ रही होती हैं और मूल्य वृद्धि पर अटकलबाजी नहीं होती है।