हिमाचल में सुक्खू सरकार को कम से कम तीन महीने की राहत मिल गयी है क्योंकि कल फाइनेंस बिल पास होने से सरकार का विशवास मत भी पास हो गया है और अब अविश्वास प्रस्ताव तीन महीने तक नहीं लाया जा सकता। इसके बाद आज एक बड़े घटनाक्रम में हिमाचल प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने कांग्रेस पार्टी के उन सभी 6 विधायकों की सदस्य्ता को रद्द कर दिया है जिन्होंने राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग करके व्हिप का उल्लंघन किया था। स्पीकर ने अपने फैसले में कहा कि इन सभी 6 विधायकों ने व्हिप का उल्लंघन करके जनादेश का अपमान किया है। अयोग्य करार दिए गए विधायकों में रवि ठाकुर, देवेंद्र सिंह, सुधीर शर्मा, राजेंद्र राणा, चैतन्य शर्मा और इंदर दत्त लखनपाल शामिल हैं।
बता दें कि संसदीय कार्य मंत्री हर्ष वर्धन चौहान ने दलबदल विरोधी कानून के तहत क्रॉस वोटिंग करने वाले सभी 6 विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिए याचिका दायर की थी। अपनी अयोग्यता को चैलेन्ज करने के लिए ये विधायक अब हाईकोर्ट जा सकते हैं। इन 6 विधायकों के अयोग्य घोषित होने के बाद सदन में संख्या बल एकबार फिर कांग्रेस के पक्ष में हो गया. राज्य सभा में कांग्रेस को 34 वोट मिले थे और सदन में अब बहुमत का आंकड़ा 32 का हो गया है. विक्रमादित्य को अगर माइनस करके भी चले तब भी 33 की संख्या बल के साथ सुक्खू सरकार को बहुमत प्राप्त है.
बुधवार को दो केंद्रीय पर्यवेक्षकों डीके शिवकुमार और भूपेन्द्र हुडडा से कांग्रेस विधायकों ने अलग-अलग मुलाकात करके अपनी बात रखी। इससे पहले स्पीकर ने अपने कक्ष में हंगामा करने के लिए 15 भाजपा विधायकों को निलंबित कर दिया जिससे सुक्खू सरकार राज्य का बजट पारित करने में कामयाब रही। भाजपा विधायक और पूर्व सीएम जयराम ठाकुर ने कहा कि राज्यसभा सीट हारने से सुक्खू सरकार के लिए खतरा पैदा हो गया था उन्हें सरकार बचाने के लिए किसी तरह बजट को पास कराना था और इसलिए स्पीकर को भाजपा के 15 विधायकों को निलंबित करके विधायकों की संख्या कम करनी पड़ी।