Women Reservation Bill Latest News: लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पर चर्चा के दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में सरकार की तरफ से बात रखी। उन्होंने संकेत दिया कि संसद से पास होने के बाद विधेयक 2029 से अमल में लाया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह विधेयक युग बदलने वाला है। मेरी पार्टी और मेरे नेता प्रधानमंत्री मोदी के लिए महिला आरक्षण राजनीति का मुद्दा नहीं, मान्यता का सवाल है। तपती धूप में मई के महीने में पटवारी से लेकर मुख्यमंत्री तक पूरी सरकार गांव-गांव जाती थीं। जिससे कि बच्चियों को स्कूलों में पंजीकृत कर सकें। जब प्रधानमंत्री मोदी गुजरात प्रांत में भाजपा संगठन में महासचिव थे। तब वडोदरा कार्यकारिणी में फैसला हुआ कि संगठनात्मक पदों में एक तिहाई आरक्षण महिलाओं को दिया जाएगा। गर्व से कह सकता हूं कि ऐसा करने वाली हमारी पहली पार्टी है।
‘जी20 के दौरान महिला नेतृत्व विजन पूरी दुनिया के सामने रखा’
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि कल का दिन भारतीय संसद के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा। कल का दिन सालों से जो लंबित था। वो महिलाओं को अधिकार देने का बिल सदन में पेश हुआ। मैं पीएम मोदी को साधुवाद देना चाहता हूं। इस बिल के पारित होने से महिलाओं के अधिकारों की लंबी लड़ाई खत्म हो जाएगी। जी 20 के दौरान पीएम मोदी ने महिला नेतृत्व वाले विकास का विजन पूरी दुनिया के सामने रखा।
कुछ पार्टियों के लिए महिला सशक्तिकरण राजनीतिक एजेंडा
उन्होंने कहा कि कुछ दलों के लिए महिला सशक्तिकरण एक राजनीतिक एजेंडा हो सकता है। कुछ दलों के लिए महिला सशक्तिकरण का नारा चुनाव जीतने का हथियार हो सकता है। भाजपा के लिए महिला सशक्तिकरण राजनीतिक मुद्दा नहीं बल्कि मान्यता का सवाल है।
विधेयकों के बारे में बताया
गृहमंत्री शाह ने कहा कि कोई जवाब को अपने दिल से न लगा ले। यह ऐसा मौका है। जिसमें समग्र देश और समग्र विश्व को संदेश देने की जरूरत है कि मोदी के नेतृत्व में महिलाओं को आरक्षण दिया जा रहा है। यह प्रयास पांचवां है। यह विधेयक पहली बार नहीं आया। सबसे पहले 1996 में विधेयक आया देवेगौड़ा जी के कार्यकाल में। इसका श्रेय कांग्रेस को देना होगा। तब कांग्रेस पार्टी विपक्ष में थी। विधेयक को सदन में रखने के बाद संयुक्त समिति को दिया गया।
नौ दिसंबर 1996 को समिति ने रिपोर्ट दे दी, लेकिन विधेयक पारित नहीं हो सका। जब 11वीं लोकसभा भंग हो गई तो विधेयक विलोपित हो गया। अधीर रंजन ने कहा कि विधेयक लंबित है, हमारा विधेयक रखा हुआ है, जबकि विधेयक लंबित नहीं था। जिंदा नहीं था। जब लोकसभा भंग होती है तो अनुच्छेद 107 के तहत लंबित विधेयक विलोपित होते हैं। ये मुझसे दस साल का हिसाब मांग रहे हैं। लेकिन अपने साठ साल का हिसाब नहीं देते। विधेयक चार बार आया, पारित नहीं हुआ। हर बार इस देश की मातृशक्ति को सदन ने निराश किया। हमारी मंशा पर सवाल उठाए गए।
सामान्य, SC, ST में एक तिहाई सीट महिलाओं के लिए आरक्षित किया
उन्होंने कहा कि आरक्षण के प्रावधान अनुच्छेद 330 और 332 में हैं। ये दोनों अनुच्छेद एससी-एसटी आरक्षण के लिए हैं। अभी विद्यमान संविधान में तीन श्रेणी में सांसद चुनकर आते हैं। एक सामान्य श्रेणी से हैं, जिसमें ओबीसी भी शामिल होते हैं। दूसरी श्रेणी एससी और तीसरी एसटी है। इन तीनों श्रेणियों में हमने महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया है। संविधान संशोधन विधेयक में 330 अ और 332 अ के माध्यम से महिला आरक्षण का प्रावधान किया है। सामान्य, एससी, एसटी में एक तिहाई सीटों को महिलाओं के लिए आरक्षित किया गया है।
परिसीमन का प्रावधान क्यों रखा गया है?
अमित शाह ने कहा, ”परिसीमन आयोग हमारे देश की चुनाव प्रक्रिया को निर्धारित करने वाली इकाई का काम करती है। इसकी प्रक्रिया अर्द्ध न्यायिक होती है। इसमें चुनाव आयोग और दो-तीन संस्थाओं के प्रतिनिधि होते हैं। सभी राजनीतिक दलों के एक-एक नेता भी इसके सदस्य होते हैं। महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटों का आरक्षण तय करना है तो वो सीटें कौन तय करेगा? हम सीटें तय करें और केरल की वायनाड (राहुल गांधी की सीट) या हैदराबाद सीट आरक्षित हो गई तो क्या कहेंगे? ओवैसी साहब कहेंगे कि राजनीति हो गई। इसमें कोई पक्षपात नहीं हो, इसलिए परिसीमन की बात कही गई है।”
तो आरक्षण लागू कब से होगा, अमित शाह ने दे दिए संकेत
शाह ने कहा, ”सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने भूमिका बनाना शुरू कर दी है कि इसे समर्थन मत करो क्योंकि परिसीमन की बात कही जा रही है। इसका समर्थन मत करो क्योंकि मुस्लिम आरक्षण नहीं है। …मेरा उनसे कहना है कि समर्थन नहीं करोगे तो क्या जल्दी आरक्षण आ जाएगा? तब भी तो 2029 के बाद आएगा। एक बार श्रीगणेश तो करो। गणेश चतुर्थी के दिन यह विधेयक आया है। एक बार शुरुआत तो करो।”