शिमला। हिमाचल प्रदेश की 14 वीं विधानसभा की 68 सीटों के लिए चुनावी बिसात अब पूरी तरह से बिछ गई है। दिलचस्प हुए सियासी जंग में भाजपा को हिमाचल में भी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की तर्ज पर चमत्कार की उम्मीद है। भाजपा हिमाचल में भी सरकारें बदलने का रिवाज तोड़ने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए है। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस सत्ता में लौटने के लिए पसीना बहा रही है। हिमाचल प्रदेश में वर्ष 1990 के बाद से कोई सरकार रिपीट नहीं हो पाई है। इस मिथक को तोड़ने के लिए भाजपा केंद्र और राज्य सरकार के डबल इंजन की ताकत से रिवाज बदलने का नारा दे चुनाव लड़ रही है। वहीं कांग्रेस जवाब में रिवाज के बजाय सरकार बदलने के एलान के साथ मैदान में उतरी है।
प्रदेश की सभी 68 विधानसभा सीटों में इस बाद 413 प्रत्याशी चुनावी मैदान में डटे हैं। भाजपा के 21 और कांग्रेस के सात नेता इस बार बगावत कर चुनाव लड़ रहे हैं। बागियों ने दोनों दलों की मुश्किलों को बढ़ा दिया हैं। भाजपा में राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा, मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर तो कांग्रेस में महासचिव प्रियंका गांधी, प्रदेश प्रभारी राजीव शुक्ला, पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह की पत्नी एवं कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह, कांग्रेस विधायक दल के नेता मुकेश अग्निहोत्री जैसे नेताओं की प्रतिष्ठा चुनावी दांव पर है।
सभी सीटों पर आम आदमी पार्टी से उम्मीदवारों को उतारने के बावजूद अरविंद केजरीवाल गुजरात में व्यस्तता के कारण हिमाचल को समय नहीं दे पा रहे हैं। पिछले साल लोकसभा की एक और विधानसभा की तीन सीटों पर उपचुनाव हारने के बाद जयराम सरकार में इस समय भाजपा के 43 विधायक ही रह गए, जबकि कांग्रेस के पास 22 एमएलए हैं। कांग्रेस के दो सिटिंग एमएलए हाल ही में इस्तीफा देकर भाजपा में गए तो उसके पास 20 विधायक ही बचे थे। कांग्रेस कर्मचारियों की ओल्ड पेंशन स्कीम की बहाली न करने, महंगाई,बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, बागवानों की अनदेखी जैसे मुद्दों पर चुनाव लड़ रही है तो भाजपा डबल इंजन सरकार के विकास मॉडल पर वोट मांग रही है।