ज्ञानवापी केस में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आज अंजुमन इंतेज़ामिया मस्जिद कमेटी द्वारा दायर सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया। जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल ने मालिकाना हक विवाद के मुकदमों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए कहा कि ट्रायल कोर्ट को 6 महीने में मुकदमे का शीघ्र फैसला करने का निर्देश देते हैं।
न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने सुनवाई के दौरान कहा कि वर्ष 1991 में वाराणसी की अदालत में दायर मूल वाद सुनवाई योग्य है और यह पूजा स्थल अधिनियम, 1991 से निषिद्ध नहीं है। उच्च न्यायालय ने एएसआई सर्वे के मामले में भी अंजुमन इंतेज़ामिया मस्जिद कमेटी की याचिका खारिज कर दी। अदालत ने कहा कि फैसले के बाद ASI का जो सर्वे हुआ है वही मान्य होगा, हिन्दू पक्ष अगर कुछ और सर्वे कराना चाहता है तो कोर्ट में अर्जी दे सकता है।
बता दें कि यह याचिकाएं ज्ञानवापी मस्जिद का प्रबंधन करने वाली अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी और उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड द्वारा दायर की गई थीं। याचिकाओं में वाराणसी की अदालत के आठ अप्रैल 2021 को ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वेक्षण कराने की व्यवस्था देने वाले फैसले को चैलेन्ज किया गया था। जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल ने सिविल वाद की सुनवाई योग्यता पर मुस्लिम पक्ष की आपत्ति को आधारहीन बताते हुए कहा कि परिसर का सर्वे कराने के आदेश में कोई कानूनी खामी नहीं है। Highcourt के आज के फैसले को सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की बात कही है वहीँ अंजुमन इंतेज़ामिया मस्जिद कमेटी ने भी सुप्रीम जाने का फैसला किया है.