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जाने गौला नदी के इतिहास की कहानी!

ट्रेवलजाने गौला नदी के इतिहास की कहानी!

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लाइफस्टाइल डेस्क। Gaula River – भारत में मौजूद कई ऐसी नदियों का जिक्र हुआ है, जिसका प्राचीन काल से लेकर आज भी उतना ही महत्व है। जैसे की गौला नदी। शयद आप में से कई लोगो ने इसका नाम पहली बार सुना हो, लेकिन बता दे, ये भी गंगा, यमुना, कावेरी, कृष्णा, गोदावरी आदि नदियों जैसी ही है। ये उत्तराखंड की बेहद खास नदी है। चलिए इसके बारे में जानते है।

गौला नदी उत्तराखंड राज्य के पहाड़पानी गांव से निकलती है, ऐसा माना जाता है कि इसका निर्माण भीडापानी, मोरनौला-शहरफाटक की ऊंची पर्वतमाला के जल स्रोतों से होता है। ये लालकुँआ होती हुई किच्छा जाकर विलीन होती है।

गौला नदी की इतिहास

गौला नदी का उल्लेख स्कंद पुराण में मानस खंड में पुष्पभद्रा नाम से मिलता है। माना जाता है कि चित्रशिला घाट और रानीबाग में गौला नदी के तट पर कई धार्मिक काम होते रहते है।

इसके अलावा, कहा जाता है की महाभारत काल में गौला नदी के किनारे ऋषि-मुनि का आश्रम होता था वे इस नदी का पानी जीवन यापन के लिए उपयोग किया करते थे। साथ ही यहां कई गांव भी मौजूद थे।

बता दे, ये उत्तराखंड के कुमाऊ मंडल की हल्द्वानी तहसील की सबसे बड़ी नदी है, इस पर बैराज का निर्माण किया गया है जो सिंचाई के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

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