विदेशी निवेशकों ने अक्टूबर में भारतीय शेयर बाजार से 94,000 करोड़ रुपये की भारी बिकवाली की, जो घरेलू इक्विटी के ऊंचे मूल्यांकन और चीनी शेयरों के आकर्षक मूल्यांकन के कारण निकासी के मामले में अब तक का सबसे खराब महीना रहा। इससे पहले, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने मार्च 2020 में इक्विटी से 61,973 करोड़ रुपये निकाले थे। नवीनतम निकासी सितंबर 2024 में 57,724 करोड़ रुपये के नौ महीने के उच्च निवेश के बाद हुई है।
अप्रैल-मई में 34,252 करोड़ रुपये निकालने के बाद जून से एफपीआई लगातार इक्विटी खरीद रहे हैं। डिपॉजिटरी के आंकड़ों से पता चलता है कि कुल मिलाकर, जनवरी, अप्रैल और मई को छोड़कर, 2024 में एफपीआई शुद्ध खरीदार रहे हैं।
आंकड़ों के अनुसार, एफपीआई ने अक्टूबर में 94,017 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी दर की। नेट ऑउटफ्लो की तीव्रता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि एक दिन को छोड़कर, एफपीआई पूरे महीने शुद्ध विक्रेता रहे, जिससे 2024 के लिए उनका कुल निवेश घटकर 6,593 करोड़ रुपये रह गया। इस निरंतर बिकवाली के परिणामस्वरूप बेंचमार्क सूचकांकों में अपने शिखर से लगभग 8 प्रतिशत की गिरावट आई।
मार्केट एनालिस्ट हिमांशु श्रीवास्तव के मुताबिक भविष्य में भू-राजनीतिक घटनाक्रम, ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव, चीनी अर्थव्यवस्था में प्रगति और अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे जैसी वैश्विक घटनाओं का रुख भारतीय इक्विटी में भविष्य के विदेशी निवेश को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा कि घरेलू मोर्चे पर, मुद्रास्फीति की गति, कॉर्पोरेट आय और त्योहारी सीजन की मांग के प्रभाव जैसे प्रमुख संकेतकों पर भी एफपीआई की कड़ी नजर रहेगी, क्योंकि वे भारतीय बाजार में अवसरों का आकलन करेंगे।