Zeba Hasan
दिल्ली में पढ़ने वाला कृष्णा अपने दादा की अस्थियों को विसर्जित करने कश्मीर आता है। यह उसके दादा की अंतिम इच्छा थी। कशमीर में कृष्णा की मुलाकात दादा के दोस्तों से होती है और फिर उसके सामने आती है वह हकीकत जिससे उसके दादा को दोचार होना पड़ा था। कैसे कशमीरी पंडितों (Kashmiri pandit) को यहां से खदेड़ा गया। महिलाओं की इज्जत लूटी गई और कशमीर जिसे दुनिया की जन्नत कहा जाता है वहीं के पंडितों के लिए वह जहन्नुम की तरह बन गया था। ‘द कशमीर फाइल्स’ (The Kashmir Files) तीस साल पहले कशमीर में होने वाले अत्याचारों पर बुना गया ताना बाना है। लंबे इंतजार के बाद शुक्रवार को रिलीज हुई ‘द कशमीर फाइल्स’ एक सम्वेदनशील फिल्म है जो दर्शकों के दिलों को छूने में कामयाब हुई है।
Read also- फिल्म आरआरआर का धुआंधार प्रचार जल्द होगा शुरु
छोड़ना पड़ा था अपने घरों को
रात तक कश्मीर छोड़ के जाने को कहा है। पूरा भारत इस तरह से जलता हुआ कशमीर बनेगा तब याद रखना तुम भी इसके जिम्मेदार थे। द कशमीर फाइल्स का यह डॉयलॉग जिस वक्त स्क्रीन पर आता है लोग सोचने पर मजबूर हो जाते हैं। विवेक अग्निहोत्री के निर्देशन में बनी 2 घंटे 40 मिनट की द कश्मीर फाइल्स के कुछ हिस्से दर्शकों को झकझोर देते हैं। कशमीर के मुद्दो को लेकर पहले भी फिल्में बनाई गई हैं लेकिन यह फिल्म 1990 में कश्मीरी पंडितों संग हुई उस घटना को बयां करती है, जिसने उन्हें आतंकियों ने उनके घरों से पलायन करने पर मजबूर कर दिया था। विवेक अग्निहोत्री ने उस दर्द को पर्दे पर बखूबी बया किया है।
दमदार अभिनय ने मजबूत की कहानी
वजनदार कहानी, को जब शानदार कलाकार और सधा हुआ डायरेक्शन मिलता है तो एक अच्छी फिल्म बनती है। ‘द कशमीर फाइल्स’ भी एक ऐसी ही फिल्म है। पुष्करनाथ के किरदार में अनुपम खेर (Anupam Kher) ने दर्द को जिस तरह से जीया है उसे हमेशा याद किया जाएगा। इस किरदार को जीकर उन्होंने एक बार फिर से यह सिद्ध किया है कि वह एक वर्सेटाइल ऐक्टर हैं जो किसी भी किरदार में जान फूंक सकते हैं। पल्लवी जोशी ने भी दमदार अभिनय किया है। मिथुन चक्रवर्ती (Mithun Chakrobarty) और पोते कृष्णा के किरदार में दर्शन कुमार ने भी अपने किरदार के साथ पूरा इंसाफ किया है।
Read also- Film Shiddat: ‘शिद्दत’ से मिला प्यार कभी नहीं भूलूंगा
हॉल में बैठे लोगों की आंखे नम थीं
अकसर इस तरह की फिल्म को दर्शक नहीं मिलते लेकिन ‘द कशमीर फाइल्स’के साथ् ऐसा नहीं है। यूपी सिनेमा फेडरेशन (UP Film Federation) के अध्यक्ष आशीष कुमार अग्रवाल कहते हैं कि फिल्म को बहुत अच्छा रेस्पांस मिल रहा है। हमारे थियेटर उमराव में दो शो चल रहे हैं और 60 परसेंट फुल हैं। हॉल से जो निकल रहा है उसकी आंखे नम हैं। बहुत ही इमोशनल फिल्म बनाई है। वहीं नॉवेल्टी सिनेमा (Novelty Cinema) के राजेश टंडन कहते हैं कि हमारे यहां दो शो चल रहे हैं और 75 परसेंट फुल हैं। दर्शक पसंद कर रहे हैं फिल्म को और काफी फोन भी आ रहे हैं बुकिंग के लिए।