RBI directive: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बैंकों और अन्य वित्तीय कंपनियों से कहा है कि ब्याज दरें नए सिरे से तय करते समय कर्ज ले रहे ग्राहकों को ब्याज निश्चित (फिक्स्ड) दर चुनने का विकल्प उपलब्ध कराएं। RBI ने यह भी कहा कि ब्याज दर बढ़ने पर कर्ज की अवधि या EMI बढ़ाई जाती है। ग्राहकों को इसके बारे में सही जानकारी नहीं मिल पाती। इसमें उनकी सहमति भी नहीं ली जाती है।
ब्याज दर बढ़ने पर कर्ज अवधि या EMI बढ़ाते है बैंक
केंद्रीय बैंक ने आज शुक्रवार को जारी अधिसूचना में कहा कि देखने में आया है कि ब्याज दर बढ़ने पर कर्ज अवधि या महीने की किस्त EMI को बैंक बढ़ा देते हैं। इसमें ग्राहकों को सही तरीके से जानकारी नहीं दी जाती है। न ही उनकी सहमति ली जाती है। अब इस चिंता को दूर करने के लिए RBI ने Regulation के दायरे में आने वाली इकाइयों को उचित policy framework बनाने को कहा है।
रिजर्व बैंक ने कहा कि कर्ज की मंजूरी के समय बैंकों को ग्राहकों को स्पष्ट तौर पर बताना होगा। जिससे कि वो मानक ब्याज दर में बदलाव की स्थिति में EMI या कर्ज अवधि पर क्या प्रभाव पड़ सकता है। EMI या कर्ज अवधि बढ़ने की सूचना उचित माध्यम से तुरंत ग्राहक को मिलनी जरूरी होगी।
ग्राहकों को मिलेगा fixed interest rate का विकल्प
केंद्रीय बैंक ने कहा कि लोन की ब्याज दरों को नए सिरे से तय करते समय बैंक अपने ग्राहकों को निश्चित ब्याज दर चुनने का विकल्प देंगे। इसके अलावा ग्राहकों को यह बताया जाना जरूरी होगा कि उन्हें कर्ज की अवधि के दौरान इस विकल्प को चुनने का मौका कितनी बार मिलेगा। इसी के साथ कर्ज लेने वाले ग्राहकों को EMI या लोन अवधि बढ़ाने या दोनों विकल्प दिए जाएं।
अधिसूचना में कहा है कि ग्राहकों को समय से पहले या आंशिक रूप से लोन के भुगतान की अनुमति दी जाएगी। यह सुविधा उन्हें कर्ज अवधि के दौरान किसी समय मिलनी चाहिए। बता दे RBI ने पिछले सप्ताह मौद्रिक नीति समीक्षा में कर्ज लेने वाले लोगों को परिवर्तनशील (फ्लोटिंग) ब्याज दर से निश्चित ब्याज दर विकल्प चुनने की अनुमति देने की बात कही थी। रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि इसके लिए नया ढांचा तैयार किया जा रहा है। इसके तहत बैंकों को कर्ज लेने वाले के लिए लोन की अवधि तथा मासिक किस्त (EMI) के बारे में स्पष्ट जानकारी देनी होगी।