अखिलेश के साथ जाते ही शिवपाल यादव की मुश्किलों में लगातार इज़ाफा होता जा रहा है. पहले उनकी सुरक्षा में कमी की गयी गयी, फिर सीबीआई ने रिवर बैंक घोटाले में शिवपाल से पूछताछ की अनुमति मांगी और अब ED ने भी उन्हें कोई नोटिस थमा दिया है, हालाँकि नोटिस किस मामले को लेकर है यह अभी सामने नहीं आया है. लेकिन यह सबकुछ ऐसे समय हुआ है जब अखिलेश यादव से नाराज़ शिवपाल यादव मैनपुरी उपचुनाव में एक साथ आ गए और शिवपाल के लिए बुरी ख़बरों के आने का सिलसिला शुरू हो गया.
राजनीतिक बदले की कार्रवाई
शिवपाल के खिलाफ एक के बाद एक एक्शन से कहा जा रहा है कि यह सब राजनीतिक बदले के रूप में किया जा रहा है क्योंकि जब शिवपाल की अखिलेश से नाराज़गी थी तब योगी सरकार उनपर काफी मेहरबान रही थी, उन्हें बड़ा पार्टी कार्यालय, बड़ा बांग्ला और जेड कैटेगरी की सुरक्षा सबकुछ मिला लेकिन मैनपुरी चुनाव के बाद सरकार की सारी मेहरबानियाँ बदले का रूप लेने लगी है. दरअसल सरकार ने सोचा था कि मैनपुरी उपचुनाव में अखिलेश और शिवपाल की नाराज़गी का भाजपा को फायदा मिलेगा, भाजपा सपा के गढ़ में उसे मात दे सकती है लेकिन जब सारा यादव परिवार एक हो गया तो फिर मामला बदल गया.
ऐसे मिटे गिले शिकवे
बता दें कि मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद रिक्त हुई मैनपुरी लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में सपा की तरफ से डिंपल यादव मैदान में उतरीं। शिवपाल ने एक सभा में बताया था कि जब बहू ने उनसे वापस आने को कहा तो वो वापस आ गए, बहू के अनुरोध को कैसे टालते। इसके बाद शिवपाल ने एक तरह से मैनपुरी में सपा के लिए धुंआधार चुनाव प्रचार किया। यहाँ तक कि शिवपाल ने अखिलेश को छोटे नेता जी की उपाधि भी दे दी. लेकिन शिवपाल को अखिलेश से नजदीकी का अब शायद खामियाज़ा भी भुगतना पड़ सकता है.