हरिद्वार – देश की आध्यात्मिक राजधानी कही जाने वाली हरिद्वार को मंदिरों और धर्मशाला ओं का शहर भी कहा जाता है. हरिद्वार में जहां पतित पावनी मां गंगा की पवित्र हर की पौड़ी है तो वही जम्मू कश्मीर के माता वैष्णो देवी की तर्ज पर हरिद्वार में भी प्राचीन वैष्णो मंदिर है. जहां दर्शन करने के लिए भक्तों का तांता लगा रहता है. जम्मू कश्मीर की भांति ही हरिद्वार के वैष्णो देवी मंदिर में सुरंग और गुफाएं बनाई गई हैं जो गर्भ पहले गुफा की ओर जाती है. यह मंदिर 3 मुख्य देवी लक्ष्मी, काली और सरस्वती को समर्पित है. माना जाता है कि अशोक महिषासुर को मारने के लिए तीनों देवियों ने वैष्णो देवी का रूप अख्तियार किया था.आप कभी हरिद्वार गंगा स्नान के लिए पहुंचे तो हरिद्वार के वैष्णो देवी मंदिर में दर्शन करना ना भूले, मंदिर की वास्तुकला आप को आनंदित कर देगी.
वास्तुकला और सुरंगों की समानता
धर्मनगरी हरिद्वार की शर्त ऋषि आश्रम रोड पर स्थित मां वैष्णो देवी का मंदिर जम्मू कश्मीर के वैष्णो देवी मंदिर से केवल सुरंगों और वास्तुकला के मामलों में ही समान है. जम्मू कश्मीर की तर्ज पर हरिद्वार के वैष्णो देवी मंदिर में गुफाओं के माध्यम से ही गर्भ ग्रह तक पहुंचा जाता है. यहां भक्तों को एक संकरी सुरंग से घसीट कर जाना होता है. ताकि भक्त माता वैष्णो देवी के दर्शन कर सकें. इस मंदिर में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों की भी नकल भी रखी गई है.
भिक्षुक ने किया था मंदिर का निर्माण
बताया जाता है कि 1965 में सिद्ध पुरुष बाल ब्रह्मचारी कर्म नारायण भिक्षुक ने इस मंदिर की स्थापना की थी. मंदिर में माता की प्रतिमाओं के अलावा भगवान राम, लखन, सीता, हनुमान, विष्णु, लक्ष्मी, गरुड़ अवतार सहित कई प्रतिमाएं स्थापित हैं. मंदिर में दर्शन के लिए आपको अक्टूबर से अप्रैल के बीच का समय सबसे उत्तम समय है. इस समय हरिद्वार में ना अधिक सर्दी होती है और ना ही अधिक गर्मी तो इसलिए आप कभी हरिद्वार का प्लान बनाएं तो इस समय आप यात्रा का भरपूर आनंद ले सकते हैं.